जिंदगी ढह गई इमारत के बाद
२ अगस्त २०१३बांग्लादेश की राजधानी के अस्पताल में बिस्तर पर लेटी 22 साल की रेबेका कहती हैं, "मेरे पास भविष्य के लिए कुछ नहीं बचा. मुझे नहीं मालूम कि अस्पताल से छूटने के बाद मैं क्या करूंगी." उनकी बाईं टांग और दाहिना पैर काटना पड़ा है.
वह भी 24 अप्रैल के उस हादसे का शिकार हुईं, जिसके आज 100 दिन पूरे हो गए. ढाका के पास कपड़ा फैक्ट्री की विशाल इमारत ढह गई, रेबेका भी वहीं काम करती थीं. 1127 लोग मारे गए और करीब 2500 घायल हो गए. बांग्लादेश में यह अब तक का सबसे बड़ा औद्योगक हादसा रहा. इसके बाद दुनिया भर में बांग्लादेश में बने कपड़ों पर भी सवाल उठने लगे क्योंकि वहां सुरक्षा की एक बड़ी पोल खुली थी.
रेबेका या उनके डॉक्टरों को नहीं मालूम कि कितना वक्त अस्पताल में रहना होगा. उनका सदमे का इलाज भी चल रहा है. डॉक्टर रेजीना बायपारी का कहना है, "हो सकता है कि उनका एक और ऑपरेशन किया जाए और दाहिनी टांग को भी घुटने तक काटना पड़े ताकि नकली पैर लगाए जा सकें."
रेबेका की मां और छह रिश्तेदार हादसे में मारे गए. जब इमारत गिरी तो वे पांचवें तल पर न्यू वीव फैशन की फैक्ट्री में काम कर रहे थे. उनकी मां और तीन रिश्तेदारों का शव कभी नहीं मिला. रेबेका को करीब 5000 डॉलर की सहायता और अगले पांच साल तक करीब 125 डॉलर प्रति महीने की पेंशन मिलेगी.
साढ़े तीन साल पहले दिनाजपुर गांव से पेट पालने ढाका आईं रेबेका सुबक उठती हैं, "क्या ये पैसे मुझे सेहत दे सकते हैं. क्या इससे मेरे पैर वापस आ जाएंगे." बगल में ही शौहर मुसतफीजुर रहमान बैठे हैं, जो पेशे से राज मिस्त्री हैं. उनका कहना है कि पैसे भी काफी नहीं क्योंकि रेबेका को तो पूरी जिंदगी इलाज कराना होगा.
जिस वक्त इमारत गिरी, वहां अलग अलग कंपनियों के 5000 कर्मचारी काम कर रहे थे. निर्माता और निर्यातक कह रहे हैं कि वे मुआवजा देने की कोशिश कर रहे हैं. बांग्लादेश गार्मेंट उत्पादक और निर्यातक संघ के उपाध्यक्ष शहीदुल्लाह अजीम का कहना है, "हम भविष्य में भी उन्हें ज्यादा सहायता देंगे." उनका दावा है कि उन्होंने 670 लोगों को मुआवजा दिलाया है.
इमारत गिरने की इस घटना के बाद से बांग्लादेश का कपड़ा कारोबार अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है, जहां चीन के बाद सबसे ज्यादा कपड़े तैयार किए जाते हैं. करीब 4000 फैक्ट्रियों में 35 लाख लोग काम करते हैं और सुरक्षा का मुद्दा बड़ा बनता जा रहा है. अजीम का कहना है कि सरकार यूनियन के नेताओं के साथ मिल कर इस मुद्दे पर काम कर रही है.
यूरोप की बड़ी कंपनियों ने फैक्ट्रियों की जांच का फैसला किया है, जबकि अमेरिका ने बांग्लादेश के साथ प्राथमिकता वाले कारोबार के स्टेटस को रद्द कर दिया है. उसने काम के हालात बेहतर करने का अनुरोध किया है. बांग्लादेश सरकार ने श्रम कानून में बदलाव की बात कही है.
गैरसरकारी संगठनों का कहना है कि सरकार को सख्ती से कानून लागू करना होगा ताकि फैक्ट्री मालिक अपनी मनमर्जी न कर सकें. हालांकि इसके बाद भी हादसे के शिकार कई लोग अब फैक्ट्री नहीं लौटना चाहते.
अपनी पत्नी फरीदा बेगम को हादसे में खो चुके मुशर्रफ हुसैन का कहना है, "मुझे जब वह दिन याद आता है, तो मैं किसी चीज पर ध्यान नहीं लगा पाता हूं. मुझे अभी भी लगता है कि वह इमारत मेरे ऊपर गिर रही है."
एजेए/ओएसजे (डीपीए)