जाहा हदीद की करिश्माई इमारतें
जब वह किसी इमारत का नक्शा तैयार करती थीं, तो पहली नजर में ही उसे नामुमकिन करार दे दिया जाता था. लेकिन इरादे की पक्की इराक की आर्किटेक्ट जाहा हदीद ने ऐसी इमारतें बना डालीं, जिन्हें देख कर लोग आज भी चौंक उठते हैं.
एक जहाज आएगा
यह है जॉकी क्लब इनोवेशन टावर, हॉन्ग कॉन्ग की पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी की इमारत. हदीद ने 2013 में इसे बनाया. इसे देख कर ऐसा लगता है जैसे एक बड़ा सा क्रूज जहाज आ कर हॉन्ग कॉन्ग की इमारतों के बीच खड़ा हो गया हो.
तानाशाह की याद में?
यह है अजरबेजान का हैदर अलियेव सेंटर. राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव अपने पिता की याद में एक स्मारक बनवाना चाहते थे और हदीद ने उनका सपना पूरा किया. लेकिन यह प्रोजेक्ट विवादों में रहा क्योंकि इल्हाम अलियेव के पिता हैदर अलियेव को एक तानाशाह के रूप में देखा जाता है.
पहाड़ों का नजारा
इटली में बना मेसनर माउंटेन म्यूजियम हदीद का अनोखा कारनामा है. पर्वतारोहण की जानकारी देने वाले इस म्यूजियम के लिए बिलकुल सही जगह चुनी गयी, इटली के पहाड़ों के बीचों बीच. ऊपर से हदीद ने अपने डिजाइन से इसमें और भी रोमांच भर दिया है.
टाइम मशीन
रोम में हदीद ने मैक्सी नाम की यह इमारत तैयार की. यहां 21वीं सदी की कला का संग्रह है और यह इमारत अपने आप में इस सदी की कला को दर्शाती है. जैसे ही आप म्यूजियम में कदम रखते हैं, जमीन हिलने लगती है. हर कदम पर एक नया अनुभव होता है.
घुमावदार डिजाइन
हदीद की इमारतों में परंपरागत किनारे देखने को नहीं मिलते. उन्हें बहते हुए, घुमावदार डिजाइन पसंद थे. आम तौर पर इस तरह का आकार गोल सीढ़ियों में ही देखा जाता है लेकिन हदीद इसे छत पर भी इस्तेमाल करतीं. उनकी बनाई लाइब्रेरी हो, कैफे या रेस्तरां, सब जगह उनके डिजाइन की यह छाप दिखती है.
दूर की सोच
चीन का गैलेक्सी सोहो हदीद की सबसे मशहूर इमारतों में से एक है. यहां कहीं भी 90 डिग्री का कोण नहीं दिखेगा. 2012 में इसे पूरा किया गया. बीजिंग स्थित इस कॉम्प्लेस में चार टावर हैं जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. यहां कई दफ्तर हैं. यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म से निकली इमारत लगती है.
ऑटो इंडस्ट्री के लिए भी
यह है लाइपजिग स्थित बीएमडब्ल्यू का कारखाना. यहां कार निर्माता कंपनी का दफ्तर भी है और प्रोडक्शन भी होता है. इमारत के अंदर कर्मचारियों के लिए रेस्तरां है, टेस्ट लैब है और वर्कशॉप भी. इस इमारत के लिए हदीद को जर्मन आर्किटेक्ट प्राइज से नवाजा गया था.
पुरुषों की दुनिया में अकेली
आर्किटेक्चर की दुनिया में महिलाओं का नाम कम ही सुनने को मिलता है. लेकिन हदीद ने इस पूर्वाग्रह को तोड़ दिया. 2004 में वे वास्तुकला की दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार, प्रितस्कर प्राइज, पाने वाली पहली महिला बनीं. बगदाद में जन्मी हदीद 31.03.2016 को दिल का दौरा पड़ने के बाद दुनिया को अलविदा कह गयीं.