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जासूसी से बाखबर था जर्मनी

४ जुलाई २०१४

एनएसए के पूर्व कर्मचारी थॉमस ड्रेक ने आरोप लगाया है कि जर्मनी की खुफिया सेवा बीएनडी को एनएसए की जासूसी के बारे में सब पता था. इस बीच बीएनडी का एक कर्मचारी अमेरिकी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार.

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Thomas Drake auf Anti-NSA Demonstration
तस्वीर: DW

जर्मन संसद की खुफिया मामलों की समिति की पूछताछ के दौरान ड्रेक ने कहा, "बीएनडी एनएसए की पिछलग्गू बन गई है." उनका दावा है कि बीएनडी एनएसए के साथ मिल कर काम कर रही थी और उसने अमेरिकी साझेदार के डाटा का उपयोग किया है. इसलिए जर्मनी का ये कहना कि उसे एनएसए की जासूसी के बारे में कुछ पता नहीं था, यह कतई विश्वसनीय नहीं लगता.

इस बीच जर्मनी और अमेरिका एक और खुफिया कांड में फंसते नजर आ रहे हैं. जर्मन खुफिया सेवा के एक 31 वर्षीय कर्मचारी को संसद के एनएसए जांच आयोग की जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उसने पूछताछ में जांच आयोग के बारे में एक अमेरिकी खुफिया एजेंसी को जानकारी देने की बात मानी है. संसदीय आयोग के एसपीडी सदस्य ने जासूसी के आरोप पर बहस के लिए विशेष बैठक की मांग की है.

एक साल पहले एडवर्ड स्नोडन के कारण पूरी दुनिया को पता चला था कि अमेरिका किस तरह लोगों के आंकड़े जमा कर रहा है और जर्मनी के लोगों और नेताओं की भी इस दौरान जासूसी की गई. अब जर्मन संसद बुंडेसटाग का जांच आयोग इस मामले की जांच कर रहा है. इस दौरान जर्मनी की खुफिया एजेंसी की भूमिका पर भी गौर किया जाएगा. ड्रेक कहते हैं, "बीएनडी की चुप्पी बुरी है." वह कहते हैं कि लोगों का अधिकार है जानने का कि क्या हो रहा है और यह कि जासूसी एजेंसी अपने काम को पारदर्शी बनाए. वह कहते हैं, "तब इंतजार करना अच्छा नहीं होगा जब जर्मनी का एडवर्ड स्नोडन सामने आए और पर्दा उठाए." ड्रेक ने आरोप लगाया कि एनएसए और बीएनडी दोनों ने लोगों की आंखों में धूल झोंकी है. जर्मन नागरिकों की जासूसी के लिए तो कड़े नियम हैं लेकिन जर्मनी में रहने वाले विदेशी नागरिकों की जासूसी के नहीं. ड्रेक ने बताया कि बीएनडी ने भी अमेरिका की ड्रोन लड़ाई में अमेरिका को डाटा दिया.

उधर अमेरिका में इंडेपेंडेंट प्राइवेसी और सिविल लिबर्टीज ओवरसाइट बोर्ड का कहना है कि अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी का विदेशी नागरिकों की जासूसी करना कानूनी, प्रभावी और अमेरिकियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए है. पांच सदस्यों वाले बोर्ड ने 190 पन्नों की रिपोर्ट में निगरानी कार्यक्रम को सही बताया है. जब एडवर्ड स्नोडन ने ये जानकारी सार्वजनिक की थी तो पता लगा था कि अमेरिकी एनएसए प्रिज्म नाम के कार्यक्रम के तहत अदालती आदेश के साथ विदेशियों के मेल, चैट, वीडियो गूगल टेक्स्ट के आंकड़े गूगल और फेसबुक से जमा करता है. लीक दस्तावेजों में यह भी पता चला था कि जो भी सामग्री अमेरिकी ऑप्टिक लाइन से गुजरती है, उसे भी देखा जाता है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यूरोप और विदेशी खुफिया एजेंसियों ने भी उनसे आंकड़े मांगे लेकिन इस बारे में कोई जानकारी मीडिया में लीक नहीं की गई.

बोर्ड का कहना है कि उन्होंने खुफिया अधिकारियों से घंटों वर्गीकृत जानकारी सुनी और समझा कि एनएसए का कार्यक्रम कैसे काम करता है. और इस दौरान वे इससे सहमत हुए कि इन कार्यक्रमों के बारे में जनता में जारी बहस पूर्वाग्रहों से भरपूर है. बोर्ड के चेयरमैन डेविड मेडाइन ने दलील दी कि इंटरनेट निगरानी कार्यक्रम सबकी जानकारी नहीं लेता बल्कि विशेष विदेशियों के आंकड़े इकट्ठे करता है जो आतंक या खुफिया कारणों से किसी अऩ्य देश में रह रहे हैं.

बोर्ड की सदस्य एलिजाबेथ कोलिंस ने कहा, "हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कार्यक्रम कानूनी, अहम और गहन निरीक्षण वाला है." हाल ही में सामने आया कि अमेरिका ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बीजेपी नेताओं की जासूसी की थी.

एएम/एमजे (डीपीए, एपी)