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जापानी महिलाएं आईएस में क्या कर रही हैं?

१८ सितम्बर २०१७

इराक में मोसुल के पास आईएस का गढ़ ध्वस्त होने के बाद जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनमें कम से कम पांच जापानी बताये जाते हैं. सवाल उठता है कि ये जापानी लोग भला आईएस में क्यों शामिल हुए.

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Irak Islamischer Staat Propagandafoto
तस्वीर: picture-alliance/Zuma Press

इराक में कुछ जापानी महिलाओं को हिरासत में लिये जाने की रिपोर्टों से जापान खुद हैरान है. अनुमान है कि यह संभवतः आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से शादी करने के लिए वहां गयी थीं. हालांकि जापान में कुछ लोग इन महिलाओं से सहानुभूति भी जता रहे हैं.

इराक से मिलने वाली रिपोर्टों में कहा गया है कि 1,330 विदेशी महिलाओं और बच्चों को उत्तरी इराक में विस्थापित लोगों के लिए बने एक शिविर में रखा गया है. समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक ये लोग अगस्त के महीने में कुर्द बलों के सामने आत्मसमर्पण करने वाले आईएस लड़ाकों के परिवार हैं. मोसुल के पास अपने गढ़ तल अफार के हाथ से निकल जाने के बाद इन आईएस लड़ाकों ने आत्मसमर्पण किया था. बताया जाता है कि कुर्द बलों ने महिला और बच्चों को इराकी अधिकारियों को सौंप दिया जबकि पुरुषों को अपने पास रख लिया. हिरासत में रखे गये बच्चे और महिलाओं में 14 देशों के लोग बताये जाते हैं और जापान की 'शुकान बुनशुन' पत्रिका के अनुसार इनमें पांच जापानी नागरिक हैं.

जापान की सरकार की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है कि इन पांच लोगों के नाम क्या हैं, लिंग क्या है, उनकी उम्र क्या है. लेकिन ऐसी अटकलें हैं कि इनमें से कम से एक महिला इस्लामिक स्टेट के लड़ाके से शादी करने के लिए इराक गयी थी. यह भी संभव है कि पांच लोगों में कुछ बच्चे भी हों.

इससे पहले जापान में सिर्फ एक व्यक्ति ने आईएस में भर्ती होने की कोशिश की थी. होक्काइडो से हिरासत में लिए गये इस छात्र का दावा था कि वह क्रांति में शामिल होने जा रहा था.

लेकिन अब जापानी महिलाओं के आईएस में भर्ती होने के लिए इराक जाने की खबरों से लोग हैरान हैं. यह वैसी ही कहानियां हैं जैसी यूरोप के कई देशों में सुनने को मिलती हैं. जानकारों का कहना है कि सोशल मीडिया के जरिये युवा लड़कियों को बरगलाया जाता है और वह अपनी अच्छी खासी जिंदगी को छोड़ कर मैदान ए जंग में जिंदगी गुजारने के लिए तैयार हो जाती हैं.

जापान की होक्काइडो बुनकियो यूनिवर्सिटी में मीडिया और संचार विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर माकोतो वातानाबे कहते हैं, "जापान में बहुत से युवा इंटरनेट और सोशल मीडिया की वजह से समाज से कट गये हैं. ये लोग अकेलेपन का शिकार हैं और अपनी एक पहचान तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. इसीलिए जो उन्हें बताया जाता है, वे उस पर विश्वास कर लेते हैं, खासकर तब भी जब वे इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों से जुड़े किसी व्यक्ति से बात कर रहे हों."

जापानी युवाओं के बारे में वातानाबे कहते हैं, "वे लोग समाज से दूर चले गये हैं और उनके पास बहुत सारे सवाल हैं. इन सवालों में धर्म और ईश्वर से जुड़े सवाल भी हैं और उन्हें इंटरनेट पर जो उत्तर मिल रहे हैं वे हैरान कर देने वाले हैं."

कुछ जापानी युवाओं में मध्य पूर्व की संस्कृति, कला, इतिहास, खानपान और धर्म को लेकर दिलचस्पी पैदा हो रही है. इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं. यही नहीं, टोक्यो के शिबुया इलाके में स्थित मस्जिद में होने वाले आयोजनों में कई जापानी युवाओं को शामिल होते देखा गया है.

जापान मुस्लिम एसोसिएशन के एक प्रवक्ता का कहना है कि उन्हें इन रिपोर्टों के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कुछ जापानी महिलाएं आईएस में शामिल होने के लिए जा रही हैं. प्रवक्ता ने इसके कारणों के बारे में भी बात करने से इनकार कर दिया.

वजह जो भी हो, लेकिन आईएस लड़ाकों से शादी करने वाली ये जापानी महिलाएं जब वापस स्वदेश आएंगी तो उनका स्वागत तो नहीं किया जायेगा. हालांकि उनके खिलाफ मुकदमा चलने की संभावना नहीं है.

वातानाबे कहते हैं, "मीडिया या फिर समाज में इस बात को लेकर ज्यादा बात नहीं हो रही है." वह समझते हैं कि हो सकता है कि मीडिया ने जानबूझ कर इस विषय को अनदेखा किया हो क्योंकि इससे जापान की छवि खराब हो सकती है. लेकिन दूसरी तरफ यूरोप में ऐसे मामलों को जोर शोर से उठाया जाता है.

यूलियान रियाल/एके (टोक्यो)