जांबाज छात्रा को जर्मनी का सलाम
जर्मनी के एक रेस्तरां में संकट में फंसी दो लड़कियों को बचाने के लिए आगे आने वाली 23 वर्षीय छात्रा टूचे ए की इस घटना में लगी चोट के कारण मौत हो गई है. इस बहादुर लड़की की मौत से पूरा जर्मनी सदमे में है.
नम आंखों से कहा अलविदा
जर्मनी में तुर्क मूल की 23 वर्षीय छात्रा टूचे अलबायराक के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने भीड़ उमड़ पड़ी. नम आंखों से लोगों से जांबाज को विदाई दी.
उमड़ी भीड़
मस्जिद के बाहर लोगों ने टूचे की याद में फूलमालाएं चढ़ाईं. शोक समारोह में शामिल होने 20 बसों में सवार होकर लोग पहुंचे.
जान पर खेलकर की मदद
शनिवार सुबह पुलिस ने इस बहादुर छात्रा की मौत की पुष्टि की. फ्रैंकफर्ट के पास ओफेनबाख शहर के अस्पताल के बाहर जमा लोग जांबाज की मौत से बेहद सदमे में हैं. टूचे की मौत उसके 23वें जन्मदिन पर हुई. उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी क्योंकि वे मदद करना चाहती थी.
मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि
जिस अस्पताल में टूचे का इलाज चल रहा था उसके बाहर करीब 1500 लोग इकट्ठा हुए और उसकी याद में फूल रखे और मोमबत्तियां जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. टूचे मूल रूप से तुर्की की रहने वाली थी.
दिल पर पत्थर रखकर फैसला
ओफेनबाख पुलिस के मुताबिक शुक्रवार रात छात्रा को जीवन रक्षक प्रणाली से हटाने का फैसला किया गया. जीवन रक्षक प्रणाली से हटाने के बाद छात्रा की मौत शनिवार को हो गई. टूचे के माता पिता ने यह फैसला तब लिया जब डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया.
गहरा सदमा
जर्मन राष्ट्रपति योआखिम गाउक और हेसे प्रांत की सरकार ने टूचे के परिवार को अपनी संवेदनाएं भेजी हैं. मुख्यमंत्री फोल्कर बॉउफिये और उप मुख्यमंत्री तारीक अल वजीर ने कहा, "एक बेटी को खोना भयानक है जिसके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी."
रेस्तरां में झगड़ा
दो हफ्ते पहले पश्चिम जर्मनी की गिजेन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली छात्रा पर एक नौजवान ने हमला कर दिया था जिसके बाद टूचे जमीन पर गिर गई. चोट लगने के कारण टूचे कोमा में चली गई और फिर कभी नहीं लौटी. टूचे लड़कियों की मदद करने की कोशिश कर रही थी.
आरोपी की चुप्पी
पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है. अभियोजन पक्ष के मुताबिक पहली पूछताछ में आरोपी ने चोट पहुंचाना कबूल किया था. उसके बाद से ही उसने चुप्पी साध ली है और अब आरोपी से इस मामले में पूछताछ हो रही है कि उसने शारीरिक नुकसान पहुंचाया जिस कारण छात्रा की मौत हो गई.
सहानुभूति और एकता
ओफेनबाख में सना क्लिनिक के बाहर जमा हुए लोग टूचे की याद में तख्तियां लेकर आए थे. एक तख्ती पर संदेश लिखा, "आज हम सब टूचे हैं."
ऑर्डर ऑफ मेरिट की मांग
हजारों लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने दुख और अविश्वास का इजहार किया. फेसबुक पर खास पेज बनाया गया है, जिसे अब तक एक लाख पच्चीस हजार से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं. जर्मनी के ऑर्डर ऑफ मेरिट मरणोपरांत से सम्मानित करने वाली इंटरनेट याचिका पर पचास हजार से ज्यादा हस्ताक्षर किए जा चुके हैं.