जांच में कसर नहीं छोड़ी: सीबीआई
८ जून २०१०सीबीआई प्रवक्ता हर्ष भाल ने बताया कि सीबीआई ने जांच करने के प्रयास किए हैं. "जांच के दौरान सीबीआई ने अमेरिका से भी सबूत जुटाने के प्रयास किए. यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन के तत्कालीन चेयरमैन वॉरेन एंडरसन के प्रत्यर्पण की भी कोशिश की गई."
दुनिया की सबसे त्रासद औद्योगिक दुर्घटना कहे जाने वाले भोपाल गैस कांड में जहरीली गैस के रिसाव से करीब 15,000 लोगों की मौत हुई थी. सोमवार को अदालत ने यूनियन कार्बाइड इंडिया के पूर्व चेयरमैन केशुब महिंद्रा और सात अन्य आरोपियों को दोषी करार देते हुए दो दो साल की सजा और एक एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. लेकिन सजा सुनाए जाने के कुछ ही देर बाद आरोपी 25 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा हो गए जिससे गैस पीड़ितों में गुस्सा देखा गया है.
नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे कार्यकर्ताओं ने इस फैसले को बहुत थोड़ा और बहुत देर से आया फैसला करार दिया है. संगठनों का कहना है कि अभियोजन पक्ष और सीबीआई ने आरोपों को कमजोर बना दिया जिससे दोषियों को हल्की सजा मिली. लेकिन सीबीआई का कहना है कि उसने कंपनी अधिकारियों पर कठोर धाराएं लगाते हुए आरोप दर्ज किए लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना और फिर दूसरी धाराओं के अंतर्गत मामले दर्ज हुए.
सीबीआई के मुताबिक भोपाल की अदालत ने गैरजमानती वारंट जारी किए थे और फिर जांच प्रक्रिया के तहत सीबीआई ने 1993 में अमेरिका से वॉरेन एंडरसन की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण का अनुरोध किया लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हुई.
भोपाल गैस कांड के करीब ढाई दशक बाद आए फैसले पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि भोपाल गैस त्रासदी पर अदालत का फैसला काफी देर बाद आया है जिससे पीड़ितों को राहत नहीं मिली है. एमनेस्टी का कहना है कि यह ऐतिहासिक फैसला है 25 साल बेहद लंबा समय होता है. गैस त्रासदी में जीवित बचे लोगों का इतने लंबे समय तक इंतजार करना अस्वीकार्य है.
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि सरकार को इस फैसले से सबक लेते हुए परमाणु जवाबदेही विधेयक पर पुनर्विचार करना चाहिए. कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि इस विधेयक पर फिर से विचार होना जरूरी है और गैस त्रासदी पर आए फैसले का प्रभाव विधेयक पर पड़ सकता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा