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"जवाबदेही बिल पास होना मनमोहन की जीत"

२६ अगस्त २०१०

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले परमाणु जवाबदेही बिल पास हो जाने को अमेरिकी मीडिया ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की निजी जीत कहा है. इससे भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में जरूरी विदेशी निवेश होगा.

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पास करा लिया बिलतस्वीर: picture-alliance/Bildfunk

अमेरिकी अख़बार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है, "बिल पास हो जाने से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राजनीतिक रूप से शक्तिशाली होकर उभरे हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले वह भारत अमेरिकी परमाणु करार को आगे बढ़ा रहे हैं." अख़बार कहता है कि यह बिल अमेरिकी कंपनियों को इस काबिल बनाएगा कि वे यूरोपीय सरकारी कंपनियों का मुकाबला कर सकें, क्योंकि भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा का निवेश करेगा.

लोकसभा ने बुधवार को परमाणु जवाबदेही बिल को हरी झंडी दे दी जिसमें कोई हादसा होने की सूरत में मुआवजे की राशि को 500 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 1,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है. सरकार की तरफ से विधेयक से "मंशा" शब्द हटाने के बाद ही विपक्ष ने इस पर अपनी सहमति दी. द जर्नल कहता है, "उम्मीद के मुताबिक अगर यह बिल राज्यसभा में भी पास हो जाए तो इससे भारतीय परमाणु ऊर्जा बाजार के दरवाजे विदेशी कंपनियों के लिए खुल जाएंगे."

लॉस एंजलिस टाइम्स ने लिखा है, "इस बिल का पास होना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए निजी जीत है. उन्होंने ही 2008 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ भारत अमेरिकी परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए. इस करार से भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु तकनीक तक पहुंच मिली है. इस तरह 1990 के दशक में परमाणु परीक्षण करने के बाद इस क्षेत्र में अलग थलग पड़े भारत को विश्व बिरादरी ने अपने साथ लिया."

अख़बार आगे लिखता है कि ओबामा प्रशासन ने अपने कई सहयोगियों को विश्वास दिलाया है कि भारत एक भरोसेमंद परमाणु शक्ति है और किसी भी स्थिति में परमाणु प्रसार को बढ़ावा नहीं देगा. अख़बार के मुताबिक ओबामा प्रशासन चाहता था कि अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा से पहले इस बिल को पास करा लिया जाए.

द वॉशिंगटन पोस्ट ने भी नवंबर में ओबामा की भारत यात्रा से पहले परमाणु जवाबदेही बिल पास होने को मनमोहन की जीत बताया है. अमेरिका की जीई और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कॉर्पोरेशन उन कंपनियों में शामिल हैं जिन्हें भारत के परमाणु ऊर्जा बाजार के कारोबार का ज्यादातर हिस्सा प्राप्त होगा. यह कारोबार सालाना 150 अरब डॉलर तक रहने की उम्मीद है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ए कुमार

सपादन: महेश झा