जल कर, राख से फिर जिंदा हुई किताबें
२९ अक्टूबर २०१५2004 में पूर्वी जर्मन शहर वाइमार की अन्ना अमालिया लाइब्रेरी में आग लग गई. हजारों बहुमूल्य किताबें नष्ट हो गईं. यह समाज के लिए भारी क्षति थी. आग बुझाने के बाद और बुरे हालात सामने आते हैं. पानी में नम किताबों में जल्द ही फंफूद लगने लगती है. और तब उन्हें बचाना संभव नहीं रहता. इसलिए भीगी किताबों को पहले प्लास्टिक में पैक कर कोल्ड स्टोर में रखा जाता है.
गीली किताबों से ठंडी भाप
किताबों में घुसा पानी बर्फ के रूप में रहता है और इस हालत में सीधे गैस के रूप में बदल जाता है. मतलब यह कि भाप बनकर वह किताब से बाहर निकल जाता है, पूरी प्रक्रिया के दौरान किताबें ठंडी रहती हैं.
वैक्यूम रूमों में माइनस तापमान पर ठंड की स्थिति में किताबों को सुखाया जाता है. इससे रंग और कागज को नुकसान नहीं पहुंचता है. इसके बाद किताब को ठीक ठाक करना संभव हो पाता है.
इस तरह की आग के मामले में सबसे बड़ी समस्या जलने से बने काले रंग के निशान होते हैं. पन्नों को पलटना मुश्किल हो जाता है.
गोंद का इस्तेमाल
पन्नों को फिर से मजबूत और पलटने योग्य बनाने के लिए एक बहुत ही पुरानी प्रक्रिया अपनायी जाती है. पन्ने को मुलायम करने के लिए उस पर गोंद लगाया है और अंत में उसे अलग किया जाता है. जले हुए किनारे के बदले उसे एक नया फ्रेम मिलता है और पन्नों के बीच एक पतला पन्ना डाल दिया जाता है जो उसे मजबूती देता है.
एक दूसरी समस्या पानी से सिकुड़ने वाली लेदर बाइंडिग और कवर की है. दरअसल नमी से चमड़ा सिकुड़ जाता है, लेकिन यहां वह पेपर के साथ मजबूती से जुड़ा रहता है. इसकी वजह से किताब खोलना मुश्किल है. कई बार तो किताब को खोलना संभव ही नहीं रहता. चमड़े की जिल्द वाली किताबों के मामले में पानी से नुकसान होने पर यह मुख्य समस्या होती है.
सिर्फ किताब नहीं, इतिहास भी
खराब हो चुकी किताब के हर कवर को एक एक कर ठीक किया जाता है. इसके लिए उन्हें कपड़े के फाइबर, नम गत्ते और प्लास्टिक की परत से ढका जाता है. कपड़े का फाइबर सिर्फ भाप को घुसने देता है. उसकी वजह से चमड़ा धीरे धीरे नम हो जाता है और फिर से लचीला भी.
अन्ना अमालिया लाइब्रेरी के माथियास हागेबॉक इसकी अहमियत समझाते हैं, "यदि हम किताबों की मूल प्रतियों को हटाकर उनके बदले नई सुंदर प्रतियों को रख दें तो हम किताबों से उनके इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा छीन लेंगे. स्वाभाविक रूप से हम यह नहीं चाहते."
अन्ना अमालिया लाइब्रेरी का ऐतिहासिक रोकोको हॉल अपने पुराने वैभव में चमक रहा है. लेकिन आग में बची किताबों को फिर से सही सलामत स्थिति में पहुंचाने में अभी सालों लगेंगे.
ओएसजे/आईबी