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जलवायु की जंग में फ्रांस करेगा धन की भरपाई

१५ नवम्बर २०१७

बॉन के जलवायु सम्मेलन में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि केवल पेरिस समझौते से ही काम नहीं चलेगा. उधर फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा है कि अमेरिका के बाहर जाने से हुई धन की कमी को फ्रांस पूरा करेगा.

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UN-Klimakonferenz 2017 in Bonn | Macron & Naulusala & Bainimarama & Merkel
तस्वीर: Reuters/W. Rattay

बुधवार को बॉन के जलवायु सम्मेलन में आए 195 देशों के प्रतिनिधियों को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने संबोधित किया. कार्बन उत्सर्जन कम करने के लक्ष्यों पर दोनों नेताओँ ने अपनी बात रखी. 

चांसलर मैर्केल ने कहा है कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए जर्मनी के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कोयले के इस्तेमाल को कम करने सहित और प्रयासों की जरूरत है. हालांकि उम्मीद के उलट जर्मन चांसलर ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के प्रतिनिधियों के सामने कोई ठोस वादा नहीं किया. मैर्केन ने कहा कि 2020 तक कार्बन डाय ऑक्साइड के उत्सर्जन में 1990 के स्तर से 40 प्रतिशत की कमी के वादे के साथ जर्मनी ने महात्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था लेकिन उन्हें पता है कि "वहां पहुंचने में लंबा रास्ता बाकी है."

UN-Klimakonferenz 2017 in Bonn | Angela Merkel, Bundeskanzlerin
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Meissner

चांसलर मैर्केल ने कहा कि स्वयं रखे लक्ष्य को पूरा करने के लिए "कोयले और खासकर भूरे कोयले को महत्वपूर्ण योगदान देना होगा." उन्होंने कहा कि भले ही कितनी बहस क्यों न हो हम उसकी कोशिश करेंगे. चांसलर ने कहा कि एक ओर पेरिस जलवायु संघि पर अमल का मामला है तो दूसरी ओर सामाजिक मुद्दे, रोजगार और खरीदी जा सकने वाली बिजली की कीमत का भी मामला है.

दो साल पहले पेरिस समझौते के तहत दुनिया के ज्यादातर देशों ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए आपसी सहमति से एक समझौता तैयार किया. इस समझौते में देशों ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए जानकारों का एक पैनल बनाने और उसके लिए फंड में योगदान करने की भी बात मानी थी. डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका इस समझौते से बाहर हो गया और तभी से कई देश इस बात की आशंका जता रहे हैं कि अमेरिका की कमी कौन पूरी करेगा.

UN-Klimakonferenz 2017 in Bonn | Angela Merkel, Bundeskanzlerin
तस्वीर: Getty Images//L. Schulze

फ्रांस के राष्ट्रपति ने यह भरोसा दिया है कि जानकारों के पैनल के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी. यह पैनल दुनिया के देशों को जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए तरीके और तकनीक की तलाश करेगा.  बॉन के जलवायु सम्मेलन में माक्रों ने सभी देशों से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने की अपील की ताकि जलवायु परिवर्तन से लड़ा जा सके. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के बाहर होने से इस समझौते पर असर नहीं होगा. फ्रेंच राष्ट्रपति ने कहा कि क्लाइमेट साइंस रिसर्च में अमेरिका के हटने से जो कमी आई है उसकी भरपाई फ्रांस करेगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोयले से चलने वाले बिजलीघरों को फ्रांस चरणबद्ध तरीके से 2021 बंद कर देगा. 

मैर्केल के भाषण से पहले पर्यावरण संगठनों ने उनसे मांग की थी कि जर्मनी कोयले का परित्याग करे. उन्होंने कहा था कि ऐसा किये बिना जर्मनी के पर्यावरण लक्ष्य पूरे नहीं हो सकते. इस समय जर्मनी में चुनाव के बाद नयी सरकार बनाने की प्रक्रिया चल रही है और चांसलर की सीडीयू सीएसयू पार्टी उद्योग समर्थन फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी और पर्यावरणवादी ग्रीन पार्टी के साथ गठबंधन वार्ता कर रही है. गठबंध वार्ता में पर्यावरण सुरक्षा महत्वपूर्ण मुद्दा है.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)