1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मन हाइवे पर दुनिया की सबसे लंबी मेज

१८ जुलाई २०१०

जरा सोचिए कि भारत के वाराणसी से कन्याकुमारी को जोड़ने वाले एनएच-7 हाइवे को दुनिया की सबसे बड़ी मेज बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाए. जर्मनी में कुछ ऐसा ही हो रहा है रुअर इलाके के ए-40 हाइवे पर.

https://p.dw.com/p/OOKT
तस्वीर: DW

ए-40 रुअर इलाके का हाइवे है. इसे 18 जुलाई को बंद कर दिया गया है. कारण है इस पर रविवार को दुनिया का सबसे लंबा मेज बनाया गया, ये मेज है 60 किलोमीटर लंबी. कुल 20 हज़ार मेजें हाइवे पर लगी. कहीं गाने का प्रोग्राम, कहीं जन्मदिन की पार्टी हुई, तो कहीं शादी की पार्टी. कहीं दुल्हनों का शो, तो कहीं कुछ और. मौका है जर्मनी की सांस्कृतिक राजधानी एसन में कार्यक्रमों की शुरुआत. 60 किलोमीटर लंबे इस सपने को नाम दिया गया स्टिल लाइफ रुअरफास्टवे मतलब रुअर इलाके का सबसे तेज़ रास्ता. जिस हाइवे पर रोज़ हज़ारों गाड़िया आती जाती हैं एक दिन उस हाइवे की गति रुक गई और काले तारकोल पर रविवार को जीवन धड़का.

रंगीन हाइवे  

ए-40 हाइवे के उत्तरी हिस्से पर 20 हज़ार मेजें लगाई गईं. इसके अलावा जगह जगह पर छोटे छोटे मंच बनाए गए हैं जहां अलग अलग तरह के कार्यक्रम होंगे. लोग खुद ही कार्यक्रम करेंगे. इनमें हिस्सा लेने के लिए जर्मनी से कई कलाकारों, स्पोर्ट्स क्लब, म्युजिक ग्रुप्स ने अपना नाम दिया है. वहीं दक्षिणी छोर को साइकिल से या पैदल घूमने वालों के लिए रखा गया है.

NO FLASH Still-Leben Ruhr 2010
तस्वीर: DW

इस सबसे लंबी मेज पर न केवल जर्मनी के रुअर इलाके की झांकी देखी जा सकती है बल्कि ये कई संस्कृतियों, पीढियों और देशों की तस्वीर बन गया है.

जर्मनी के अलग अलग हिस्सों से तो लोग यहां आए लेकिन अमेरिका, पोलैंड, ऑस्ट्रिया, स्पेन, हॉलैंड से भी लोगों ने मेज रिजर्व करवाई है.

आइडिया

हाइवे पर दुनिया की सबसे बड़ी मेज बनाने का आइडिया आया एआरडी टीवी चैनल में काम करने वाले प्लाइटिगे को, जो अस्सी के दशक में न्यूयॉर्क में संवाददाता थे. जहां गर्मियों में हाइवे को पैदल चलने वालों, स्केटर्स, साइकल चलाने वालों के लिए खोला जाता. प्लाइटिगे को उम्मीद है कि ये आइडिया जर्मनी में एक नया आयाम ले सकता है.

2010 में जर्मनी के एसन शहर को देश की सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा दिया गया है जिसके तहत वहां संगीत, नाटक, साहित्य, चित्रकला से जुड़े कई तरह के कार्यक्रम होने हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः एस गौड़