जर्मन सितारों पर भारी पड़ा सर्बिया
१८ जून २०१०फीफा वर्ल्ड कप 2010 के पहले मैच में जर्मनी के लिए गोल की शुरुआत करने वाले पोडोल्स्की और क्लोजा दूसरे मैच में ज़बरदस्त विलेन साबित हुए. जर्मन टीम परंपरागत सफेद पोशाक में खेल रही थी. लेकिन मैदान पर या तो सर्बिया की लाल जर्सी दिख रही थी, या फिर रेफरी के पॉकेट से निकलते पीले कार्ड.
मैच में कुल नौ बार पीले कार्ड दिखाए गए. क्लोजे को दो बार. यानी लाल कार्ड. जर्मनी के सबसे तजुर्बेकार स्ट्राइकर क्लोजे ने मैच के 13वें मिनट में ही फाउल कर दिया. पहला कार्ड देखने के बाद भी वह शांत नहीं हुए. कोच योआखिम लोएव कम से कम पहले हाफ में उन्हें वापस नहीं बुलाना चाहते थे. लिहाजा कार्ड के बाद भी उन्हें खेलाते रहे. लेकिन यह दांव 37वें मिनट में बेहद महंगा पड़ गया. क्लोजे आपा खो बैठे और रेफरी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. रेड कार्ड. यानी अगले मैच में भी लाल झंडी. क्लोजे घाना के खिलाफ बेहद अहम मुकाबले में नहीं खेल पाएंगे.
इधर, क्लोजे को लाल कार्ड मिला और उधर सर्बिया को मौका. अगले ही मिनट सर्बियाई शेर जर्मन रक्षा पंक्ति पर टूट पड़े और मिलान जोवानोविच ने गोल दाग़ दिया. फिलिप लाम की टीम अभी क्लोजे के बाहर होने के सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि एक गोल का दबाव उन पर हावी हो गया. कुछ मिनट पहले तक मैच पर पकड़ बनाए रखने वाली टीम अचानक से सुरक्षात्मक हो गई. लय ताल बिखरने लगा.
स्टार स्ट्राइकरों की कमी सिर्फ मैच के नतीजे पर नहीं पड़ता. टीम के उत्साह पर भी पड़ता है. दस खिलाड़ियों पर आ टिकी जर्मन टीम अब हमले से ज्यादा किला बचाने में लग गई. जर्मनी की रणनीति तोड़ने के लिए सर्बिया ने तेज खेल का सहारा लिया. बिना किसी बड़े नाम के खेल रही सर्बियाई खिलाड़ियों को जैसे ही गेंद मिलती, वे बिजली की गति से आगे बढ़ निकलते और जर्मन किले पर धावा बोल देते.
क्लोजे ने अगर कायदे तोड़े तो पोडोल्स्की ने दिल. 60वें मिनट में जर्मनी को गोल उतारने का सुनहरा मौका मिल गया, जब सर्बियाई खिलाड़ी ने अपने डी के अंदर गेंद को हाथ से छू दिया. क्लोजे बाहर हो चुके थे, लिहाजा पेनाल्टी पोडोल्स्की को ही लेना था. जर्मनी के सबसे तेज तर्रार स्ट्राइकर समझे जाने वाले पोडोल्स्की इस कदर दबाव में आ गए कि उन्होंने शॉट सर्बियाई गोलकीपर के हाथ में मार दी. अगले आधे घंटे में दोनों टीमों के लिए कम से कम आधे दर्जन मौके और आए लेकिन कोई गोल नहीं हो पाया.
पोडोल्स्की ने कुल जमा छह मौके गंवा दिए. कम से कम दो बार तो उन्हें गेंद सिर्फ जाल में सरकाना था लेकिन उनकी बूट ने साथ नहीं दिया. ऑस्ट्रेलिया को 4-0 से परास्त करने वाली जर्मन टीम के कोच योआखिम लोएव इतने सारे कार्ड से खुश नहीं दिखे. उन्होंने कहा कि इतने कार्ड दिखाने की जरूरत नहीं थी. वैसे तो नए नियम कार्ड दिखाने के ज्यादा मौके मयस्सर करता है लेकिन शायद रेफरी ने इस बार कार्ड खर्च करने में वाकई दरियादिली दिखाई.
क्लोजे और पोडोल्स्की जैसे सितारों के ढह जाने के बाद जर्मनी की युवा टीम ग्राउंड के अंदर इधर उधर सिर्फ भागती दिखी. और ग्राउंड के बाहर युवा कोच योआखिम लोएव कभी चिल्लाते, कभी माथा पकड़ते और कभी गुस्से में पानी की बोतल फेंकते नजर आए. बहरहाल, उनकी इन हरकतों से मैच का नतीजा नहीं बदल सका और जर्मनी को वर्ल्ड कप का पहला झटका लग गया.
हो सकता है इस झटके से टीम में कुछ निखार ही आ जाए, जो बहुत जरूरी भी है. अगला मुकाबला घाना से है और ग्रुप डी खुली किताब की तरह दिख रहा है. कोई भी दो टीम आगे बढ़ सकती है. जर्मनी की मुश्किल यह है कि लाल कार्ड देख चुके स्टार क्लोजे अगला मैच नहीं खेल पाएंगे और घाना की टीम कोई कमजोर नहीं.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य