जर्मन संसद में विश्वयुद्ध के अंत की याद
८ मई २०१५द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति की 70 वीं वर्षगांठ पर जर्मन संसद बुंडेसटाग और बुंडेसराट की स्मृति सभा में बुंडेसटाग प्रमुख नॉर्बर्ट लामर्ट में पड़ोसी देशों का आभार व्यक्त किया और कहा, "8 मई एक साथ अंत और शुरुआत था." उन्होंने कहा कि 8 मई 1945 का दिन पूरे यूरोप के लिए आजादी का मौका था. उन्होंने स्पष्ट किया, "यह जर्मनों के लिए खुद से पाई गई आजादी नहीं थी."
8 मई को जर्मनी की नाजी सेना के शर्तरहित आत्मसमर्पण के साथ द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हुआ था. लामर्ट ने कहा कि युद्ध "जर्मनी, जर्मनी की एक सरकार द्वारा आपराधिक ऊर्जा के साथ शुरू किया गया और चलाया गया और उस समय तक उसने 5 करोड़ लोगों की जान ली थी जिनमें 80 लाख जर्मन भी शामिल थे. संसद प्रमुख ने कहा कि सोच और आदर खासकर उन लोगों के लिए है जिन्होंने भारी क्षति के साथ नाजी आतंक को समाप्त किया.
लामर्ट ने युद्ध के बाद के सालों में मेलजोल के लिए पड़ोसी देशों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "मेलजोल के लिए हमारे पड़ोसियों की तैयारी ऐतिहासिक तौर पर वैसी ही बेमिसाल है जैसी कि उससे पहले आई विपदा." संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए बुंडेसटाग के प्रमुख ने कहा कि राजनैतिक, आर्थिक और नैतिक तौर पर जर्मनी का और गहरा पतन नहीं हो सकता था. "इसलिए और भी आश्चर्यजनक है कि दोष के बावजूद हमारे देश को अपनाया गया."
यहूदीविरोध की चेतावनी
इतिहासकार हाइनरिष विंकलर ने अपने प्रमुख भाषण ने विदेशियों से विद्वेष और यहूदी विरोध के खिलाफ चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि हाल की विद्वेष और हिंसा की घटनाएं चेतावनी हैं जो 1933 से 1945 के जर्मन इतिहास के सबक पर जोर देती हैं, हर हालत में हर इंसान की मर्यादा की अक्षुण्णता का आदर करने का कर्तव्य.
विंकलर ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि जर्मनी की ऐतिहासिक भूल का रास्ता 1933 में हिटलर के सत्ता में आने के बाद नहीं शुरू हुआ. उसके पहले ही समाज के बड़े हिस्से ने वाइमार गणतंत्र की संसदीय व्यवस्था को गैर जर्मन बताकर नकार दिया था. विंकलर ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के अपराधों की वजह से जर्मनी द्वारा हमला किए गए देशों के साथ एकजुटता की खास जिम्मेदारी पैदा होती है. उन्होंने देशवासियों से अपील की वे अपने देश के अतीत को उसकी ऊंचाईयों और गहराईयों के साथ स्वीकर करें.