जर्मन संसद में नवीद किरमानी
२३ मई २०१४जर्मनी में प्रवासी ईरानी परिवार में 1967 में जन्मे किरमानी सार्वजनिक नजरों से दूर जर्मनी के महत्वपूर्ण बुद्धिजीवी के रूप में उभरे हैं. उन्हें पिछले तीन सालों में देश के महत्वपूर्ण पुरस्कारों हन्ना आरेंट पुरस्कार और क्लाइस्ट पुरस्कार से नवाजा गया. उन्हें इस साल प्रसिद्ध जोसेफ ब्राइटबाख पुरस्कार भी दिया जा रहा है. डॉक्टर परिवार में पले बढ़े किरमानी को परिवार में फारसी संस्कृति मिली तो जीगेन शहर में बचपन गुजारने के दौरान उनका जर्मन संस्कृति से भी परिचय हुआ. वे दो भाषाओं में पले बढ़े और स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद रुअर थियेटर में इंटर्नशिप की. कोलोन, काहिरा और बॉन में प्राच्य विद्या, दर्शन और थियेटर शास्त्र की पढ़ाई की.
1998 में डॉक्टरेट और 2005 में डीलिट करने वाले किरमानी अब स्वतंत्र लेखक हैं. उनके प्रयासों से 2012 में कोलोन में अंतरराष्ट्रीय कला अकादमी की स्थापना हुई. वह अपने बारे में कहते हैं, "लेखक के रूप में जिम्मेदारी आलोचना और आत्म आलोचना है, मेरे मामले में यह यूरोपीय और इस्लामी दोनों संस्कृति से ताल्लुक रखता है."
नवीद किरमानी विदेशी मूल के लोगों की बढ़ती आबादी के बीच नई संस्कृति के प्रतीक बन गए हैं. वे संस्कृति पर चलने वाली बहस में जोरदार ढंग से हिस्सा लेते हैं और अपनी आवाज उठाते हैं. वियना के प्रसिद्ध बुर्ग थियेटर की 50वीं वर्षगांठ पर दिए गए अपने भाषण में उन्होंने 2005 में ही यूरोपीय शरणार्थी नीति की आलोचना की थी, जो अब विवादों के केंद्र में है. उन्होंने शरणार्थियों के बारे में कही जा रही बातों के सिलसिले में कहा था, "जो लोगों के बारे में महामारी की तरह बात करता है उसने यूरोप की रक्षा करने के नाम पर उसके साथ विश्वासघात किया है."
धर्म उन बड़े मुद्दों में शामिल है जिस पर किरमानी नियमित रूप से बोलते हैं, सरकार की विचारधारात्मक तटस्थता के समर्थन के अलावा समाज को कमजोर करने वाले धार्मिक निरक्षरता का विरोध. किरमानी के समर्थकों में संसद के अध्यक्ष और चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के नॉर्बर्ट लामर्ट भी हैं, जिसकी वजह से संभवतः उन्हें संसद की सभा में मुख्य वक्ता के तौर पर बुलाया गया है.
एमजे/एजेए (एएपपी, डीपीए)