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जर्मन संसद अध्यक्ष ने किया मिस्री नेता का बहिष्कार

२१ मई २०१५

लोकतांत्रिक सरकारों का काम आसान नहीं, खासकर तब जब देश की दूसरी संवैधानिक संस्थाएं लोकतंत्र के पालन पर जोर दे रही हों. जर्मन संसद के अध्यक्ष नॉर्बर्ट लामर्ट ने मिस्र के राष्ट्रपति से मिलने से इंकार कर मिसाल कायम की है.

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जर्मन संसद अध्यक्ष नॉर्बर्ट लामर्टतस्वीर: John Macdougall/AFP/Getty Images

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी जून के शुरू में जर्मनी आने वाले हैं, लेकिन इस दौरे पर संसद अध्यक्ष लामर्ट उनसे नहीं मिलेंगे. मिस्र में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को पांसी की सजा सुनाए जाने के बाद लामर्ट ने मानवाधिकारों के हनन का हवाला देकर मिस्र के राष्ट्रपति से मिलने से मना कर दिया. पहले राष्ट्रपति योआखिम गाउक भी मानवाधिकारों के नाम पर ओलंपिक खेलों के लिए सोची जाने से इंकार कर चुके हैं. लेकिन इस बार वे जर्मन सरकार के निमंत्रण पर जर्मनी आ रहे अल सिसी से मिलेंगे.

मिस्र के निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी का तख्तापलट कर सत्ता में आए पूर्व जनरल को जर्मनी में अपने दौरे के व्यापक बहिष्कार की चिंता करने की जरूरत नहीं है. मध्यपूर्व की राजनीति में मिस्र की महत्वपूर्ण भूमिका है. चुनाव कराकर राजनीतिक वैधता हासिल कर चुके अल सिसी को चांसलर अंगेला मैर्केल ने बुलाया है और सरकारी प्रवक्ता ने कहा है कि निमंत्रण बरकरार है. विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने भी मिस्री राष्ट्रपति के दौरे का समर्थन किया है.

Deutschland Ägypten Steinemeier bei al-Sisi
श्टाइनमायर और अल सिसीतस्वीर: picture-alliance/EPA/K. Elfiqi

अल सिसी के दौरे पर जर्मनी में बहस की शुरुआत लामर्ट के एक बयान के बाद हुई जिसमें उन्होंने कहा कि वे मिस्र में हो रहे गंभीर गलत विकासों के कारण राष्ट्रपति से नहीं मिल सकते. मिस्र के राजदूत को पत्र लिखकर उन्होंने अपने फैसले के लिए मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों को दी जा रही मौत की सजा को कारण बताया. चांसलर अंगेला मैर्केल भले ही अपनी सीडीयू पार्टी के संसद अध्यक्ष के इस कदम से परेशान हुई हों, विपक्षी ग्रीन पार्टी के विदेशनैतिक प्रवक्ता ओमिद नूरीपुर ने संसद अध्यक्ष का समर्थन किया है और कहा है कि मिस्र के राष्ट्रपति को निमंत्रण देना पूरी तरह गलत है.

सेना प्रमुख अल सिसी इस्लामी कट्टरपंथी राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को पद से हटाकर जुलाई 2013 में सत्ता में आए. पिछले शनिवार को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है जिसकी जर्मन सरकार ने भी कड़ी आलोचना की है. मैर्केल ने अल सिसी को पिछले सितंबर में मिस्र के संसदीय चुनावों के बाद जर्मनी आने का न्यौता दिया था. अदालत द्वारा चुनाव को टाले जाने के बाद जर्मन सरकार के एक प्रवक्ता ने मार्च में कहा कि सरकार मिस्र के साथ बातचीत को और टालना नहीं चाहती है. विदेश मंत्री श्टाइमायर ने कहा, "कठिन लेकिन जरूरी बातचीत से बचना नहीं चाहिए. इसलिए मैं बातचीत करने की वकालत करता हूं." विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया है कि अल सिसी इस बीच देश के निर्वाचित राष्ट्रपति हैं.

एमजे/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)