जर्मन रेल की 10 खास बातें
1994 में डॉयचे बान का गठन जर्मनी में रेल सेवाओं के एक नए युग की शुरुआत मानी जाती है. पूरब और पश्चिम की दो सरकारी कंपनियों को मिलाकर एक सार्वजनिक कंपनी डॉयचे बान बनी.
जर्मन रेल डॉयचे बान दुनिया भर के 130 से भी ज्यादा देशों में रेल सेवाएं देता है. हर दिन 30,000 ट्रेनों के अपने बेड़े से डॉयचे बान जर्मनी में ही लगभग 33,400 किलोमीटर की दूरी तय करता है.
हर दिन जर्मनी की ट्रेनें 6 लाख 20 हजार टन से ज्यादा माल ढोती हैं. इसके अलावा यह रोजाना करीब 60 लाख लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है.
आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आजकल रेल में भी सेलफोन और लैपटॉप के लिए चार्जिंग स्टेशन, वाई-फाई और दूसरी सुविधाएं दी जा रही हैं.
देश में एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले कच्चे माल में से लगभग आधा और कुल यात्रियों में से करीब एक तिहाई को तो केवल डॉयचे बान ही ले जाता है. इसके अलावा यह लॉजिस्टिक और आईटी सेवाएं देने का भी काम करती है.
समय पर चलने के मामले में जर्मनी की यात्री ट्रेनों का प्रदर्शन लाजवाब रहा है. 2011, 2012 और 2013 में नियमितता का आंकड़ा 94 फीसदी से ऊपर रहा.
जर्मनी का कुल रेल नेटवर्क करीब 35 हजार किलोमीटर लम्बा है. देश में 6 हजार के करीब रेलवे स्टेशन हैं जिनमें से कई बेहद आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं.
सामान्य रेल सेवा के अलावा छोटी दूरी के लिए ऊ-बान या अंडरग्राउंड रेल भी चलती है. शहर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए यह लोगों का पसंदीदा साधन है.
एस-बान नाम की ट्रेनें शहरी रेल सेवा हैं. जाहिर है इन्हें सड़क के आम यातायात नियमों का भी पालन करना पड़ता है जिसके कारण इनकी स्पीड लंबी दूरी की ट्रेनों के मुकाबले काफी कम होती है.
आज की आधुनिक डिजिटल सिग्नल सेवाओं के आने से पहले यह तीर के निशानों वाले इन प्रतीकों ने कई सालों तक रेलवे नेटवर्क में सिग्नल देने की भूमिका निभाई. इन्हें आज भी कुछ जगहों पर देखा जा सकता है.
डॉयचे बान के कुल 3 लाख के करीब कर्मचारियों में से लगभग 2 लाख केवल जर्मनी में ही कार्यरत हैं. यह सुनिश्चित करते हैं कि सेवाएं अबाध रूप से चलती रहें.