जर्मन पुलिस पर शरणार्थियों से दुर्व्यवहार के आरोप
१८ मई २०१५वरिष्ठ सरकारी वकील थॉमस क्लिंगे ने सोमवार को जांच की खबरों की पुष्टि की. एक अधिकारी के खिलाफ पद पर रहते हुए शारीरिक हानि पहुंचाने और हथियार कानून के हनन के आरोपों की जांच हो रही है. क्लिंगे ने कहा कि दो गवाहों ने जांच अधिकारियों को आपराधिक दुर्व्यवहार की जानकारी दी और उससे संबंधित सबूत दिए. उसके बाद अभियोक्ता कार्यालय ने संदिग्ध पुलिस अधिकारी के घर और दफ्तर की तलाशी करवाई. उसके घर के जांच अधिकारियों को एक रिवॉल्वर मिला. क्लिंगे ने बताया कि इस समय इस बात की जांच की जा रही है कि असल्हा काम के लायक है या नहीं और अधिकारी के पास उसे रखने का अधिकार है या नहीं.
सरकारी चैनल एनडीआर टीवी मैगजीन के प्रोग्राम हलो नीदरजाक्सेन और रेडियो चैनल एनडीआर इंफो द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही खोज के अनुसार पिछले साल हनोवर में संघीय पुलिस की हिरासत में बंदियों पर हमलों की कई घटनाएं हुईं. एक मामले में अफगानिस्तान के एक 19 वर्षीय शरणार्थी का गला दबाया गया और पैरों में बेड़ी डालकर पुलिस चौकी में घसीटा गया. उसे आईकार्ड नहीं होने के कारण रेलवे स्टेशन पर स्थित चौकी पर ले जाया गया था. दूसरा मामला छह महीने बाद हुआ जिसमें संदेह है कि एक 19 वर्षीय मोरक्कोवासी को सेल में जानबूझकर अपमानित किया गया और पोर्क का खराब मीट खाने को दिया गया.
पुलिस ज्यादती के शिकार लोगों की संख्या और उनकी पहचान के बारे में भी अभी ज्यादा पता नहीं है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अब जांच के दायरे में आए पुलिस अधिकारी ने व्हाट्सऐप पर इस तरह के कारनामों पर दंभ भरा और एक तस्वीर अपने साथियों को भेजी. इस तस्वीर में हथकड़ी लगे एक इंसान को अस्वाभाविक पोज में और चेहरे पर तकलीफ में देखा जा सकता है.तस्वीर में दो अधिकारियों के बूट देखे जा सकते हैं, जिसका मतलब यह है कि घटना के समय कम से कम दो अधिकारी मौजूद थे.
शरणार्थी संगठन प्रो एसाइल ने इस घटना को नस्लवाद और मानव अनादर का भयानक आयाम बताया है. संगठन के प्रमुख गुंटर बुर्कहार्ड ने जांच का दायरा बढ़ाकर उसमें इस घटना को जानने वालों को भी शामिल करने की मांग की है जिन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. बुर्कहार्ड ने पुलिस की वर्दी में घटना के जानकारों की कोई कार्यवाई न करने को स्कैंडल में स्कैंडल की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि लोगों को यह जानने का हक है कि किसे इस घटना के बारे में कब जानकारी थी.
एमजे/आरआर (एएफपी, डीपीए)