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जर्मन चांसलर के दफ्तर पर परमाणु विरोधी प्रदर्शन

१९ सितम्बर २०१०

शनिवार को दसियों हजार लोग जर्मन चांसलर के दफ्तर पर विरोध प्रदर्शन करने जमा हो गए. ये लोग परमाणु बिजली घरों को तुरंत बंद करने की मांग कर रहे थे. सरकार ने इन बिजली घरों को 2021 के बाद भी चलाने की मंजूरी दे दी है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

" बंद करो सरकार अभी" जैसे नारे लिखे हुए बैनर हाथों में लिए दसियों हजारों लोग बारिश की बूंदा बांदी के बीच भी प्रदर्शन करने में जुटे रहे. पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन जब शुरू हुआ तब 40 हजार से ज्यादा लोग वहां जमा थे. हालांकि उन्होंने बाद में पहुंची भीड़ के आंकड़े देने से इनकार कर दिया. बर्लिन सरकार के दफ्तरों वाले इलाकों से घूमता ये शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन चांसलर के दफ्तर के बाहर पहुंचकर रुक गया. प्रदर्शनकारी परमाणु बिजली घरों की औसत आयु 12 साल और बढ़ाने के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे. लोगों की मांग है कि चांसलर को पिछले सरकार के उस फैसले को मानना चाहिए जिसमें परमाणु बिजली घरों को 2021 तक बंद करना तय किया गया है.

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चांसलर ने बढ़ाई बिजलीघरों की आयुतस्वीर: picture-alliance/dpa

शनिवार को बर्लिन में हुआ ये प्रदर्शन 1986 में चेर्नोबिल हादसे के बाद सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था. आयोजकों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन में एक लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए. इस विरोध प्रदर्शन ने लोगों के बढ़ते गुस्से के साथ ही इस बात का भी अहसास करा दिया है कि पिछले साल अक्टूबर में बनी सरकार की लोकप्रियता तेजी से घट रही है.

प्रदर्शन के आयोजकों में से एक जोशेन स्टे का कहना है, "आज के प्रदर्शन से साबित हो गया कि ज्यादातर लोग परमाणु उर्जा के खिलाफ हैं." पश्चिमी जर्मनी से आए 52 साल के एक प्रदर्शनकारी ने कहा, " मेरी बेटी उसी साल ही पैदा हुई और उस हादसे के कारण गंभीर रुप से विकलांग हो गई. वो देख नहीं सकती और उसकी रीढ़ में भी बड़ी बीमारी है जिसके कारण 23 साल की होने का बाद भी वो अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाती. "मैं सरकार से मांग करता हूं कि वो इन बिजली घरों को तुरंत बंद कर दे."

इस मामले पर हुए सर्वे के रिपोर्ट से भी ये बात सामने आई है कि ज्यादातर लोग इन बिजली घरों को बंद करने के पक्ष में हैं. सरकार के लिए इनकी आयु बढ़ाने के प्रस्ताव को संसद से पास कराना भी टेढ़ी खीर साबित होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः महेश झा

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