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जर्मन कोर्ट ने ठुकराई अतिदक्षिणपंथी पार्टी पर बैन की मांग

१७ जनवरी २०१७

जर्मनी के सबसे बड़े कोर्ट ने अतिदक्षिणपंथी पार्टी एनपीडी पर प्रतिबंध लगाने की मांग को रद्द कर दिया है. संवैधानिक कोर्ट ने इस नस्लभेदी दल को लोकतंत्र की ताकत के सामने बहुत मामूली बताया.

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Deutschland Karlsruhe Entscheidung des Bundesverfassungsgerichts zu NPD-Verbot
तस्वीर: Reuters/K. Pfaffenbach

केंद्रीय संवैधानिक कोर्ट के प्रमुख जज आंद्रेयास फोसकूले के जर्मनी की एक नवनाजी पार्टी 'नेशनल डेमोक्रैटिक पार्टी' (एनपीडी) पर बैन लगाने के निवेदन को रद्द करते हुए माना, "एनपीडी संविधान विरोधी लक्ष्य रखती है, लेकिन फिलहाल उसके खिलाफ ऐसा करने में सफल हो पाने के कोई ठोस सबूत नहीं हैं."

एनपीडी के इस समय करीब 6,000 सदस्य हैं और उसे बैन करवाने का यह दूसरा असफल प्रयास है. इस बार यह प्रयास संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट की ओर से हुआ था, जहां जर्मनी के सभी 16 राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है. चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार भी इस प्रस्ताव के पक्ष में थी हालांकि सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से इस कानूनी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया.

1964 में शुरु हुई नवनाजी पार्टी ने सीधे तौर पर "जर्मनी केवल जर्मनों के लिए" के फॉर्मूले पर अपना कामकाज शुरु किया. साल 2011 में खुद को नेशनल डेमोक्रैटिक पार्टी कहने वाले इस समूह के कई हत्याओं के लिए जिम्मेदार होने का पता चला. इसी कारण बुंडेसराट ने साल 2013 से ही इस अतिदक्षिणपंथी गुट का विरोध कर इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी. धीरे धीरे कर यूरोपीय संसद से इस दल के कई सदस्य बहाल हो गए और अब केवल एक व्यक्ति ही बचा है.

NPD Verbotsantrag
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी में 2015 में तेजी से लोकप्रिय हुए आप्रवासी विरोधी पार्टी एएफडी के बढ़ते जनसमर्थन के कारण एनपीडी की हालत और खराब हो गई. ताजा पोल दिखाते हैं कि इस समय एनपीडी को 1.0 प्रतिशत तो वहीं एएफडी को 12 से 15 प्रतिशत जनसमर्थन प्राप्त है. इसी साल सितंबर में जर्मनी में आम चुनाव होने वाले हैं. 

इंटरनेशनल आउषवित्ज कमेटी के उपाध्यक्ष क्रिस्टोफ हॉएब्नर ने इस फैसले पर चिंता जताते हुए इस पार्टी पर यूरोप भर में नफरत फैलने का आरोप लगाया है. उन्होंने सवाल उठाया, "जो लोग होलोकॉस्ट का जश्न मनाते हों और कई इलाकों में आज भी नफरत फैला रहे हों, उन्हें कैसे डेमोक्रेसी में हिस्सा लेने दिया जा सकता है."

1945 में दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद से जर्मनी में केवल दो ही राजनीतिक पार्टियों को गैरकानूनी घोषित किया गया है. पहली थी- 1952 में एसआरपी, जो कि नाजी पार्टी की अग्रज थी. और दूसरी- 1956 में बैन की गई वेस्ट जर्मन कम्युनिस्ट पार्टी (केपीडी). जर्मनी में किसी दल को बैन करवाने की प्रक्रिया काफी मुश्किल रही है. 

आरपी/ओएसजे (एएफपी)