1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मनी में कंडोम ब्रैंडिंग की बहस

२५ जून २०१४

विदेशों में बना कंडोम जर्मनी में 'मेड इन जर्मनी' या 'जर्मन ब्रैंडेड प्रोडक्ट' कहकर नहीं बेचा जा सकता है. यह फैसला एक जर्मन अदालत ने कंडोम निर्माताओं की अपील पर सुनाया है.

https://p.dw.com/p/1CPtG
तस्वीर: picture alliance/chromorange

जर्मन शहर हाम की उच्च अदालत के अनुसार जर्मनी में बने कंडोम के पैकेट पर ही मेड इन जर्मनी लिखा जा सकता है. अदालत का कहना है कि यदि प्रोडक्शन का अधिकतर काम विदेशों में हुआ है तो इस तरह के वाक्य भ्रामक हैं. ये इस बात की गलतफहमी पैदा करती है कि ये जर्मनी में बने हैं. अदालत का फैसला प्रभावी नहीं हुआ है क्योंकि हारे पक्ष ने संघीय अदालत में अपील करने की घोषणा की है.

विवाद के केंद्र में एक जर्मन कंपनी द्वारा विदेशों से मंगाए गए कंडोम हैं. उनका क्वालिटी कंट्रोल जर्मनी में किया जाता है, जरूरत होने पर उसे नाम किया जाता है और पैकेजिंग कर बेचा जाता है. अदालत का कहना है कि मेड इन जर्मनी पढ़कर उपभोक्ता उम्मीद करता है कि उत्पादन की मुख्य प्रक्रिया जर्मनी में पूरी हुई है, कम से कम वे प्रक्रियाएं जिनके दौरान उत्पाद को उसके खास गुण मिलते हैं. अदालत के अनुसार इस मामले में जर्मनी में हुए क्वालिटी कंट्रोल और पैकेजिंग का उत्पादन की प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है.

मुकदमा जर्मनी के कंडोम उत्पादकों के संघ ने एक इरॉटिक मार्केटिंग कंपनी और एक कंपोनेंट सप्लायर पर किया था. कंपोनेंट सप्लायर कंपनी विदेश से कंडोम खरीद कर उसकी मजबूती और खिंचाव नापती और उसमें नमी डालने के बाद पैकेजिंग कर बीलेफेल्ड की कंपनी को बेचती थी. उच्च न्यायालय की प्रतिस्पर्धा बेंच ने कहा कि उत्पाद को मेड इन जर्मनी कहने के लिए यह काफी नहीं था.

Aids-Aufklärung in Südafrika
तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरोपीय संघ उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए इस पर जोर दे रहा है कि उत्पादों के बनने का मूल स्थान उसके पैकेट पर लिखा हो. यूरोपीय संसद का लक्ष्य है कि किसी भी उत्पाद की सप्लाई चेन में उसके बनने के स्थान तक पहुंचा जा सके. कुछ गड़बड़ी होने पर इस तरह इसका पता लगाया जा सकता है कि गड़बड़ी की वजह क्या है. जर्मन अदालत ने अपना फैसला यूरोपीय संघ की इन्हीं भावनाओं के अनुरूप सुनाया है.

इस फैसले का असर अर्थव्यवस्था के दूसरे इलाकों पर भी पड़ सकता है क्योंकि वैश्वीकृत दुनिया में बहुत सी जर्मन कंपनियां अपना सामान पूरी तरह या आंशिक रूप से दूसरे देशों में बनवा रही हैं. जर्मनी में मेड इन जर्मनी की लोकप्रियता और गुणवत्ता का मानक होने की छवि की वजह से बहुत सी वस्तुओं को जर्मन ब्रैंडेड प्रोडक्ट कहकर बेचा जाता है. ये कंपनियां अदालत का फैसला प्रभावी होने के बाद ऐसा नहीं कर पाएंगी.

मेड इन जर्मनी का लेबल 19वीं सदी में ब्रिटेन से जर्मनी के सस्ते माल से उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए लागू किया गया था. लेकिन बाद के सालों में जर्मन उत्पादों की क्वालिटी का प्रतीक बन गया.

एमजे/एम(डीपीए, एएपीपी)