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जर्मनी में ड्रोन पर विवाद

६ मई २०१३

अमेरिका जिन ड्रोन विमानों के इस्तेमाल से पाकिस्तान और यमन में कुख्यात हुआ है, जर्मनी उन्हीं विमानों को खरीदने की तैयारी में जुटा है. विपक्षी नेता जर्मन सेना के लिए इसे जरूरी नहीं मानते. वे इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन सरकार अमेरिका या इस्रायल से मानवरहित ड्रोन विमान खरीदना चाहती है. ये विमान बम बरसाने से लेकर इलाकों की टोह लगाने तक के काम में इस्तेमाल हो सकते हैं. जर्मनी के रक्षा मंत्री टोमास डे मेजियर के मन में तस्वीर साफ है कि जर्मन सेना को मानवरहित ड्रोन विमानों की जरूरत है जिन्हें रिमोट कंट्रोल के सहारे चलाया जा सकता है. संसद में इस जरूरत का जिक्र करते हुए उन्होंने दलील दी कि जर्मनी की विशेष सेनाएं आतंकवादियों को पकड़ने के लिए बाहर जाती हैं ऐसी स्थिति में ड्रोन उनके काम पर नजर रख सकता है साथ ही उन्हें वायु मार्ग से दिशा निर्देश भी दे सकता है. अगर जर्मन सेना किसी मुसीबत में हो तो मानवरहित ड्रोन रॉकेट दाग कर उनकी मदद भी कर सकता है. अभी तो यह होता है कि बिना ड्रोन के ऑपरेशन में जुटे सैनिकों को मदद के लिए विमान बुलाने की जरूरत पड़ती है. डे मेजियर ने ध्यान दिलाया कि ये विमान 10-15 मिनट बाद ही आएंगे और वे इतने सटीक भी नहीं होंगे,0 ऐसी स्थिति में सैनिकों का जीवन जोखिम में रहेगा. अपनी बात खत्म करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, "हम ऐसा नहीं चाहते."

रक्षा मंत्री का मानना है कि जर्मन सेना के पास अगर ड्रोन विमान हुए तो उसके सैनिक ज्यादा सुरक्षित रहेंगे और जोखिम की स्थिति में नुकसान ज्यादा से ज्यादा विमान का ही होगा बस.

Pakistan Proteste gegen Drohnenangriffe
पाकिस्तान में ड्रोन हमलों के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: picture alliance/Photoshot

महंगा उपकरण

जर्मन सरकार इन मानवरहित विमानों को अमेरिका या इस्रायल से खरीद सकती है. फिलहाल जर्मन सेना ने भाड़े पर तीन हेरोन ड्रोन विमान इस्रायली एयरफोर्स से लिए हैं जो हवा से टोह लेने का काम करते हैं. इनमें हथियार नहीं लगे हैं. जर्मन सेना इनका इस्तेमाल अफगानिस्तान में कर रही है. साल 2012 की शुरुआत में जर्मन सरकार ने अपने सहयोगी अमेरिका से पूछा था कि क्या वह एमक्यू 9 रीपर मॉडल के 3 ड्रोन विमानों का ऑर्डर दे सकता है. रीपर को हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल या नियंत्रित बम से लैस किया जा सकता है. अमेरिकी कंपनी जनरल एटोमिक्स इस विमान को बनाती है और एक विमान की कीमत है करीब 45 लाख डॉलर.

इस तरह के हथियारों के निर्यात के लिए अमेरिकी संसद से मंजूरी जरूरी है और फिलहाल उसने हरी झंडी दिखा दी है. हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि जर्मन सरकार अमेरिकी ड्रोन ही खरीदेगी. अप्रैल के आखिर में वॉशिंगटन गए डे मेजियर ने कहा था  कि इस बारे में फैसला, "निश्चित रूप से 22 सितंबर 2013 को जर्मनी के संघीय चुनाव से पहले नहीं होगा." एक तो फैसले से पहले सारे कानूनी, वित्तीय और नैतिक सवालों के जवाब ढूंढ लिए जाएंगे. दूसरे सरकार यह भी नहीं चाहती कि चुनाव के दौरान यह मुद्दा उसके लिए नुकसानदेह साबित हो.

Drohnenopfer in Pakistan
ड्रोन हमले में विकलांग हुआ एक अफगान नागरिकतस्वीर: Peshawar Jibran Yousufzai

किधर जाएगा मामला

जर्मन सरकार ने अब तक ड्रोन खरीदने के लिए किसी करार पर दस्तखत नहीं किया है लेकिन यह साफ है कि वह इसकी तैयारी कर रही है. सरकार की मंशा ने विपक्षियों को नाराज कर दिया है और इस पर संसद में बार बार बहस हो रही है. सभी तीन प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने इस तरह के हथियार तंत्र की आलोचना की है और इसे सिरे से खारिज कर दिया है. सोशल डेमोक्रैट पार्टी यानी एसपीडी को संदेह है कि जर्मन सेना को वास्तव में ड्रोन की जरूरत है. पार्टी ने सवाल उठाए हैं कि किन तरह की सैन्य परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल होगा.

ड्रोन हथियारों का इस्तेमाल यूरोपीय वायुसीमा में इस्तेमाल वर्जित है और अफगानिस्तान में युद्धक कार्रवाइयां अगले साल के आखिर में बंद हो जाएंगी. साफ है कि उनके इस्तेमाल की संभावना मौजूदा वक्त में तो नहीं दिख रही. एसपीडी के सांसद हंस पेटर बार्टेल्स ने संसद में दलील दी, "ड्रोन हथियार वाला विमान किसी को पकड़ नहीं सकता. इसका इस्तेमाल सिर्फ स्थिति पर नजर रखने और अगर जरूरत हो तो किसी को निशाना बना कर मारने में ही किया जा सकता है." बार्टेल्स ने ध्यान दिलाया कि यह प्रक्रिया अमेरिकी खुफिया एजेंसी, सीआईए यमन में आतंकवादियों को निशाना बनाने में करती है. कानूनी जानकार इसे साफ साफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन बताते हैं. बार्टेल्स का कहना है, "सीआईए का ड्रोन से हमले का परिदृश्य जर्मनी के लिए कभी संभव नहीं."

निशाने पर सवाल

कई जर्मन सांसद इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि पाकिस्तान, यमन और सोमालिया में अमेरिकी ड्रोन हमलो में सैकड़ों बेकसूर आम लोग मारे गए. वामपंथी पार्टी के यान फॉन आकेन का कहना है यह, "पूरी तह से जंग की सीमाओं को खत्म करना है, युद्धक विमान ऐसे मिशन के दौरान कभी भी उड़ान नहीं भर पाएंगे. उनकी दलील है कि एक तो पायलटों की जान जोखिम में नहीं डाली जाएगी दूसरे ये कि अमेरिका पाकिस्तान, सोमालिया और यमन के साथ नहीं लड़ रहा है.

अफगानिस्तान जैसी लड़ाई अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक इस तरह के हथियारों के इस्तेमाल के लिए पहली जरूरी शर्त है. किसी युद्धक पायलट या दूर किसी बेस स्टेशन पर बैठे सैनिक के हाथों मिसाइल दागी जाए या नहीं इसके पहले हमलावरों को आम नागरिकों से साफ तौर पर अलग करना जरूरी है. अंतरराष्ट्रीय कानून के जानकारों को डर है कि लगातार बढ़ते ड्रोन के इस्तेमाल से अब पहले की तुलना में आम नागरिकों की रक्षा करना और मुश्किल हो जाएगी.

जंग में रोबोट

संयुक्त राष्ट्र के विशेष जांच अधिकारी फिलिप एल्सटन ने 2010 में ड्रोन के खतरे को "प्लेस्टेशन की मानसिकता को हत्या" की अनुमति देना कहा था. जर्मनी के विपक्षी पार्टियां मानती हैं कि जब जंग कंप्यूटर स्क्रीन और जॉयस्टिक के सहारे लड़ी जाएगी तो हत्याएं बहुत आसान हो जाएंगी. इसके अलावा एक दिक्कत यह भी है कि ड्रोन बहुत स्मार्ट और स्वतंत्र होने लगे हैं. वह पहले से तय किए प्रोग्राम के रूट से हट कर भी उड़ान भरने लगे हैं इसके अलावा उन्हें उड़ना और खुद ही उतरना भी आने लगा है. जर्मन विपक्षी पार्टी ग्रीन इनकी आलोचना करते हुए इन्हें, "हथियारबंद, स्वाचालित तंत्र जिसे जिम्मेदारी की जंजीर से नहीं बांधा गया है."

यह करीब करीब तय है कि ऐसे हथियारों के इस्तेमाल में बेकसूर आम लोगों की जान जाएगी ही, यह बात जर्मन रक्षा मंत्री ने भी मानी है. उनकी दलील है कि जंग के दौरान बेकसूर लोगों का मारा जाना जंग से जुड़ी ऐसी परिस्थिति है जिसे टाला नहीं जा सकता. वह टारगेट किलिंग को अंधाधुंध बमबारी से बेहतर मानते हैं.

यूरोपीय हथियार कंपनियां सशस्त्र ड्रोन बाजार में आए उछाल पर भी नजर गड़ा रही हैं क्योंकि यहां से अरबों की कमाई का रास्ता भी खुलता है. इन्हें खरीदना और इस्तेमाल करना इस दिशा में पहला कदम हो सकता है.

जर्मनी के विपक्षी सांसद चेतावनी दे रहे हैं कि इससे हथियारों की दौड़ तेज हो सकती है. जर्मनी के पूर्व विकास मंत्री की दलील है, "यूरोप को इसलिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला ताकि वह नए हथियारों का निर्यात कर सके."

रिपोर्टः नीना वेर्कहाउजर/एनआर

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी

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