जर्मनी में क्यों हो गया बटर टमाटर
जर्मनी में इस हफ्ते 250 ग्राम मक्खन की टिकिया की कीमत 1.99 यूरो हो गयी. अप्रैल में ये कीमत सिर्फ 1.19 यूरो थी. आखिर कीमत में दोगुनी वृद्धि की वजह क्या है?
उत्पादन में कमी
2015 में यूरोपीय संघ ने दूध उत्पादन का कोटा खत्म करने का फैसला किया. उसके बाद उत्पादन इतना बढ़ा कि दूध की कीमतें गिर गयी. नुकसान की वजह से कुछ किसानों ने दूध का उत्पादन छोड़ दिया,
कम मलाई
कुछ किसानों ने बायो तरीके से पशुपालन शुरू किया जिसके नतीजे कुछ साल बाद दिखेंगे. कुछ ने पशुओं का चारा बदल दिया जिसके कारण दूध में मलाई की मात्रा कम हो गयी. नतीजा मक्खन के उत्पादन में कमी.
मौसम का असर
दूध के उत्पादन पर मौसम का भी असर होता है. गर्मी में मवेशी कम दूध देते हैं. इसके अलावा अगर वर्षा कम हो तो चारा भी कम होता है और मवेशियों को खिलाना मुश्किल हो जाता है.
मांग में वृद्धि
दुनिया भर में मक्खन की मांग में भी वृद्धि हुई है. जब से रिसर्चरों ने ये कहा है कि आप कितना कोलेस्टेरॉल खाते हैं उसका असर खून में कोलेस्टेरॉल के स्तर पर नहीं होता है, लोग फिर से मक्खन खाने लगे हैं.
चीन की भूमिका
चीन में यूरोपीय दुग्ध उत्पादों की मांग बढ़ गई है. 2016 में ही दो साल पहले की तुलना में जर्मनी से निर्यात दोगुनी हो गयी थी. जर्मनी के लिए चीन दूध से बनने वाले उत्पादों का महत्वपूर्ण बाजार है.
दूसरे उत्पाद
ऐसे उत्पादों की कीमत भी बढ़ गयी है जिनमें मक्खन का इस्तेमाल होता है. खासकर बेकरी में मक्खन के इस्तेमाल से बनने वाले खास ब्रेड, कूकी और केक की कीमतें बढ़ा दी गयी हैं.