जर्मनी ने इंगलैंड को 4-1 से रौंदा
२७ जून २०१०''हमसे ग़लतियां हुई हैं, लेकिन सबसे बड़ी ग़लती रेफ़री से हुई.'' मैच के बाद इंग्लैंड के कोच फ़ाबियो कापेलो का कहना था. उन्होंने कहा कि जर्मनी एक अच्छी टीम है और उन्होंने अच्छा खेल खेला है. एक गोल पर विवाद के बावजूद इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता कि अच्छी शुरुआत के बावजूद इंग्लैंड की टीम जर्मनी के मुक़ाबले काफ़ी कमज़ोर रही. ख़ासकर एक ओर जहां जर्मन स्ट्राइकर लगातार आक्रामक रहे, कुछ एक मौकों को छोड़कर इंग्लैंड में वह आक्रामकता नहीं दिखाई दी. मैदान के तीन हिस्सों के बीच सामंजस्य बनाए रखने के मामले में भी जर्मन टीम मीलों आगे रही. जर्ममन गोलकीपर मानुएल नोयर ने भी कई अच्छे शॉट रोके.
जर्मनी की ओर से 20वें मिनट में क्लोज़े ने पहला व पोडोल्स्की ने 32वें मिनट में दूसरा गोल किया. 37 वें मिनट में इंग्लैंड के अपसन ने एक गोल उतारा, जबकि 38वें मिनट में लैम्पर्ड के गोल को नहीं माना गया. इसके बाद दूसरे हाफ़टाइम में म्युलर ने 67वें और 70वें मिनट में दनादन दो गोल दागते हुए इंग्लैंड के खेल की रीढ़ तोड़ दी.
जर्मनी की ओर से आज लगभग सभी खिलाड़ी फ़ार्म में नज़र आए. आर्ने फ़्रीडरिष और बोआतेंग की डिफ़ेंस पंक्ति के सामने रुनी की एक न चली. इंग्लैंड के स्ट्राइकरों में डीफ़ो ही सबसे असरदार दिख रहे थे. जर्मन कप्तान लाम बेहतरीन ढंग से गेंद को डिफ़ेंस से मध्य मैदान व उससे आगे तक बढ़ा रहे थे, जहां श्वाइश्टाइगर और म्युलर की जोड़ी उसे ख़तरनाक़ ढंग से इंग्लैंड के गोल के सामने धकेल रही थी. यहां ओयत्सिल, और उसके आगे पोडोल्स्की और क्लोज़े लगातार गोल करने को बेताब दिख रहे थे.
जर्मनी और इंग्लैंड के बीच फ़ुटबॉल मैच की तुलना भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से की जा सकती है, जहां फ़ैन्स व खिलाड़ियों की भी भावनाएं आसमान चूमने लगती है. उस हिसाब से आज एक स्वच्छ खेल खेला गया, जिसमें बराबरी के साथ जर्मनी के फ़्रीडरिष और इंग्लैंड के जॉनसन को दो पीले कार्ड बांटे गए. सबसे बड़ी बात कि अब जर्मन फ़ैन्स को 44 साल पहले के वेंबली के गोल की शिकायत बंद कर देनी चाहिए. वैसे फ़िलहाल उन्हें कोई शिकायत नहीं है, वे सोच रहे हैं कि अगला मैच अर्जेंटीना के साथ होगा, या शायद मेक्सिको के साथ? और उसमें जर्मनी के चांसेज़ कैसे हैं?
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: ओ सिंह