जर्मनी के लिए डॉयचे पोस्ट का नया झुनझुना
२२ जुलाई २०१०कुल 55 सेंट करीब यानी करीब 35-40 रुपये इस ई पत्र के लिए लगेंगे जो कि सामान्य पत्र के जितने ही हैं. जर्मनी में अगर आप किसी को पत्र भेजें तो उस पर 55 सेंट का ही टिकट लगता है.
लेकिन इसमें एक बात और है कि ई पत्र लिखने के बाद चुनाव कर सकते हैं कि ये पत्र इमेल जैसा मिले या पारंपरिक पत्र जैसा. अगर आप पारंपरिक पत्र की तरह इसे भेजना चाहते हैं तो पोस्ट ऑफिस में इस पत्र को प्रिंट किया जाएगा और फिर पोस्टमैन इसे दिए पते पर पहुंचा के आएगा. लेकिन इसमें पत्र की गोपनीयता तो पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. अभी ये साफ नहीं है कि अगर कोई अरबी में, या हिंदी में ये खास ईपत्र लिखे तो क्या उसे डॉयचे पोस्ट का कंप्यूटर सिस्टम सपोर्ट करेगा.
सुरक्षित पत्र
डॉयचे पोस्ट की इस नई सेवा की अलग बात यह भी है कि हर पत्र के लिए एक खास कोड होगा. जब तक भेजने वाला ये कोड नहीं देगा तब तक पत्र नहीं जाएगा. डॉयचे पोस्ट का तर्क है कि इस कोड वाले ई पत्र के जरिए गोपनीय, महत्वपूर्ण पत्र तेजी से भेजे जा सकेंगे. लेकिन सरकार को अभी इसे अनुमति देनी होगी कि ईपत्र के जरिए अहम दस्तावेज भेजे जाएं या नहीं.
अगर कोई अपने वकील को तुरंत पत्र भेजना चाहता है या किसी सरकारी कार्यालय में कोई अहम कागज भेजना चाहते हैं तो तुरंत भेजा जा सकेगा. भविष्य में ये सेवा स्मार्ट फोन पर भी लागू हो सकेगी. साथ ही अगर आप किसी पत्र को सेव करना चाहते हैं तो उसके लिए आर्काइव की भी सुविधा होगी.
डॉयचे पोस्ट का कहना है कि इससे बड़ी कंपनियों का पोस्ट का खर्च कम हो जाएगा और तुरंत जरूरी दस्तावेज बिना पोस्ट ऑफिस जाए भेजे जा सकेंगे.जर्मनी की बड़ी कंपनियां सैप, एलियांज, एडीएसी भी इस तरह की सेवा के इंतजार में थीं.
प्रतियोगी लाइन में
इलेक्ट्रॉनिक पत्र यानी इमेल के कारण परंपरागत तरीके से लिखे जा रहे पत्रों में भारी कमी आई है इसलिए डॉयचे पोस्ट ने ये सेवा शुरू की है. अब डीई मेल नाम से डॉयचे टेलीकॉम, जर्मनी की इंटरनेट सेवा जीएमएक्स, वेब.डीई पोस्ट से काफी कम दरों पर ये सेवा उपलब्ध करवाने के लिए तैयार खड़ी है.
डॉयचे पोस्ट का दावा है कि ये सेवा अतिसुरक्षित रहेगी. लेकिन जर्मनी में ही ऐसे मामले सामने आ चुके हैं कि क्रेडिट कार्ड के लिए दी गई निजी सूचनाओं या किसी कार्यालय में दी गई निजी सूचनाएं किसी तीसरे व्यक्ति के हाथ लगी तो डॉयचे पोस्ट से भी निजी सूचनाएं किसी तीसरे व्यक्ति तक पहुंचना असंभव नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ओ सिंह