फ्रांस पर जर्मनी की जीत
७ फ़रवरी २०१३फ्रांस के खिलाफ जीत के साथ फुटबॉल मैदान पर जर्मनी का अभिशाप खत्म हो गया है. पेरिस में जर्मन टीम ने फ्रांस को 2-1 से हराया. 26 साल से जर्मन टीम के लिए फ्रांस को हराना मुश्किल साबित हो रहा था.
मैच दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संधि की वर्षगांठ के मौके पर हुआ. इस साल जर्मनी और फ्रांस द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुए मैत्री संधि की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. एलीजी संधि के जरिए दोनों देश सदियों की दुश्मनी के बाद फिर से दोस्त बने. जर्मनी के लिए 26 साल बाद फ्रांस से जीतना भी एक अहम बिंदु रहा.
हालांकि फ्रांस की टीम मैच की शुरुआत में मजबूती से खेल रही थी और उसने पहले हाफ में बढ़त भी हासिल कर ली. लेकिन जर्मनी ने अच्छे मौके बनाए. जर्मनी के पास तीसरे ही मिनट में एक मौका था जब थोमास मुलर ने सेमी केदीरा की गेंद को रोका और उसे गोल की ओर मारा. लेकिन यह गेंद गोल पोस्ट से बहुत दूर चली गई. इसके कुछ ही मिनट बाद मेसुत ओएजिल ने जैसे तैसे मुलर से गेंद ली लेकिन यह ऊपर चली गई.
21वें मिनट में पेअर मेर्टेसआकर ने हेडर से गोल करने की कोशिश की लेकिन यह नहीं हो सका. शुरुआत में जिस आक्रामकता और कलात्मकता के साथ जर्मनी ने खेलना शुरू किया था, वह हाफ टाइम तक आते आते ढीली पड़ने लगी. इसके बाद फ्रांस ने जर्मनी पर दबाव बढ़ाना शुरू किया.
मेजबान टीम को पहली सफलता तब मिली जब करीम बेंजेमा की फ्री किक क्रॉसबार पर टकरा के लौट आई. इसी गेंद को सिर से मारा मूसा सिसोको ने और मैथ्यू वाल्बुएना उसे गोल में डालने के लिए वहां मौजूद थे. इस गोल ने फ्रांस को हाफ टाइम के ठीक पहले बढ़त दिला दी. जर्मन गोलकीपर रेने आडलर के पास इस गोल को होते देखने के अलावा कोई चारा नहीं था.
जर्मनी का जवाब
शुरुआत में जो फ्रांस घबराया सा लग रहा था, समय बीतने के साथ उसने रंग जमाना शुरू किया. बेंजेमा और रिबेरी ने केवल जर्मन रक्षा पंक्ति तोड़ने की कोशिश ही नहीं की बल्कि काफी हद तक उसमें सफल भी हो गए.
हालांकि जर्मन टीम जल्दी ही फॉर्म में लौटी. मेसुल ओएजिल और केदीरा के आत्मविश्वास और दूसरे गोल के कारण फ्रांस अचानक पिछड़ गया. यूं तो फ्रांस बेंजेमा के साथ आक्रमण करता रहा और रिबेरी, ओलिविये गिरोड अपनी किस्मत आजमाते रहे. लेकिन आखिर में जर्मनी ऐतिहासिक जीत दर्ज करने में कामयाब रहा. यह फ्रांस की जमीन पर 1935 के बाद उसकी पहली जीत थी.
टीम के कोच योआखिम लोएव ने नवंबर में नीदरलैंड्स के साथ बिना स्कोर के हुए ड्रॉ के साथ इस मैच की तुलना की. उन्होंने कहा, "यह 2013 में हमारी पहली बड़ी परीक्षा थी. हम लय में खेले. यह बहुत तेज गेम था, खासकर गोल के आसपास काफी तेज खेल खेला गया. कई चीजें ऐसी थी जो हमने पिछली बार नीदरलैंड्स के मैच की तुलना में काफी अच्छे से की."
पैरिस के 75 हजार दर्शकों में चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद भी मौजूद थे.
रिपोर्टः टोबियास ओएलेमायर/एएम
संपादनः महेश झा