जटिल ऑपरेशन में रोबोट का इस्तेमाल
२४ मार्च २०१७रोबोटिक सर्जरी का विकास पहले से उपलब्ध मिनिमल इनवेसिव सर्जरी की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए हुआ. इसमें सर्जन या तो टेलिमैनिपुलेटर का इस्तेमाल करते हैं या कंप्यूटर कंट्रोल के जरिये रोबोट को संचालित करते हैं. जर्मनी में रोबोट की मदद से पहला ऑपरेशन 1998 में हुआ था जबकि अमेरिका में 1999 में.
हैम्बर्ग मेडिकल कॉलेज के प्रो. अलेक्जांडर हेजे प्रोस्टेट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं. ऑपरेशन के बाद ये बहुत ही जरूरी होता है कि उस जगह पर कोई मेटास्टेटिस न बने. इस दौरान कोई नर्व या मांशपेशी भी कटनी या घायल नहीं होनी चाहिए. प्रो. हेजे कहते हैं, "प्रोस्टेट ऑपरेशन में बहुत ही जरूरी होता है कि बारीकी से काम किया जाये. सब कुछ छोटे से इलाके में होता है जो बच्चे की मुट्ठी के बराबर होता है. इसकी कल्पना करें तो मांशपेशियां, नर्व और प्रोस्टेट सब मिलीमीटर छोटे इलाके में होते हैं."
ऑपरेशन की तैयारी पूरी होने के बाद रिमोट कंट्रोल्ड कलीग दा विंची रोबोट की बारी आती है. जब पहली बार यह मशीन बाजार में आई थी तो उसकी कीमत साढ़े 17 लाख डॉलर थी. ऑपरेशन सर्जन और रोबोट एक टीम की तरह मिलजुल कर करते हैं. ऑपरेशन जटिल है. सर्जन को पूरी तरह हाई टेक हेल्पर के ऊपर भरोसा होना चाहिए. इससे पहले कि दा विंची अपना काम शुरू करे, मरीज के पेट में गैस भर दी जाती है ताकि ऑपरेशन के लिए दिखने वाला इलाका बड़ा हो जाये. छोटे कट के जरिये कैमरे और इंस्ट्रूमेंट को अंदर डाला जाता है. रोबोट की बांह को डॉक किया जाता है और उसके बाद सर्जन अपनी जगह लेता है, मरीज से कई मीटर दूर.
प्रो. अलेक्जांडर हेजे बताते हैं, "बहुत से मरीज पूछते हैं, आप मुझसे बहुत दूर नहीं हैं क्या? वे मुझे तो देखते भी नहीं, वे खिड़की की ओर देखते हैं. मैं मरीज से दूरी नहीं महसूस करता. मैं हाथ से किये जाने वाले ऑपरेशन के मुकाबले मरीज के ज्यादा करीब होता हूं." सर्जन वर्चुअल ऑपरेशन करता है. उसकी आंखें मॉनिटर पर होती हैं, अंगुलियां लूप में. ऑपरेशन टेबल पर हाइ टेक कलीग सर्जन की अंगुलियों की हरकत के मुताबिक मरीज के पेट पर छुरी चलाता है. रोबोट के हाथ, इंसानी अंगुलियों की तरह नहीं कांपते.
इस बीच रोबोट और सर्जन प्रो. हेजे एक परखी हुई टीम हैं. उन्होंने एक साथ मिलकर करीब 750 ऑपरेशन किये हैं. मिलीमीटर दर मिलीमीटर मरीजों का प्रोस्टेट साफ कर दिया है. उसके बाद निर्णायक घड़ी आती है. नाभि में एक छोटे से छेद के जरिये बीमार हिस्से को बाहर निकाला जाता है. एक जांच कर तुरंत तय किया जाता है कि कैंसर को पूरी तरह साफ कर दिया गया है या नहीं.
हैम्बर्ग मेडिकल कॉलेज के मार्टिनी क्लीनिक में ऐसे ऑपरेशन अब रूटीन हैं. यहां दुनिया भर में सबसे ज्यादा प्रोस्टेट कैंसर के ऑपरेशन किये जाते हैं. करीब तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद रोबोडॉक टीम कैंसर को पूरी तरह हटा देती है. इंसान और मशीन मिलकर कैंसर पर विजय पा लेते है.
(कितनी नौकरियां रोबोट को जाएंगी)
ओएसजे/एमजे