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जंप जंप जिमी जंप

१२ जुलाई २०१०

मैदान में घुसने के लिए विख्यात स्पेनी नागरिक फाइनल के दिन भी अपनी आदत से बाज नहीं आया. मैच शुरू होने से पहले उसने मैदान में रखी ट्रॉफी छूने की कोशिश की लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उसे पहले ही पकड़ लिया.

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ट्रॉफी छूने पहुंच गया एक दर्शकतस्वीर: AP

स्पेन की पारंपरिक टोपी बैरेटिना और जींस टीशर्ट पहने जिमी जंप तेजी से स्टैंड पर रखी ट्रॉफी की तरफ, उस पर टोपी रखने के लिए भागा लेकिन एक मीटर पहले ही पकड़ लिया गया. खिलाड़ी तब मैदान में भी नहीं आए थे. बाद में उसे उसी रास्ते से मैदान के बाहर ले जाया गया जिसके अगल बगल खिलाड़ियों का स्टैंड था. जिमी की टीशर्ट पर सामने की ओर एक नस्लभेद विरोधी संदेश लिखा था जबकि पीछे की ओर लिखा था साल्टा साल्टा जिमी जंप यानी कूदो कूदो जिमी कूदो.

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सुरक्षाकर्मियों ने पहले ही पकड़ लियातस्वीर: AP

जंप जिमी इससे पहले भी कई बार ऐसी कोशिशें कर चुका है. जिमी स्पेन के कैटेलोनिया इलाके का रहने वाला है. जिम्मी 2008 में यूरो कप के सेमीफाइनल मुकाबले में भी मैदान में घुस गया. उसके हाथ में एक तिब्बती झंडा था और उसकी टीशर्ट पर लिखा था तिब्बत, चीन नहीं है. 2009 में फ्रेंच ओपन टेनिस के पुरुषों के फाइनल में भी जिमी कोर्ट में घुसा और रोजर फेडरर को स्पेनी टोपी बैटेरीना पहनाने की कोशिश की. उसको पकड़े जाते समय की तस्वीरें बताती हैं कि उसने वर्ल्डकप को भी स्पेनी टोपी पहनाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा.

वर्ल्ड कप ट्रॉफी को छूने का अधिकार फीफा के चीफ, राष्ट्राध्यक्ष और फाइनल जीतने वाली टीम के खिलाड़ियों को ही है. खेल से पहले फीफा ने ट्रॉफी को दक्षिण अफ्रीका में एक गुप्त स्थान पर रखा था.

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वर्ल्ड कप ट्रॉफी को स्पेनी टोपी पहनाना चाहता था जिमीतस्वीर: AP

वर्ल्डकप की असली ट्रॉफी 1983 में ब्राजील से चोरी हो गई और आज तक बरामद नहीं हुई. इसके बाद से जीतने वाली टीमों को असली ट्रॉफी की बजाए उसकी कॉपी दी जाती है. वास्तविक ट्रॉफी से इसमें फर्क ये है कि असली ठोस सोने की है जबकि कॉपी किसी और धातु की है और उस पर सोने का पानी चढ़ा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम