चूहेदानियों का म्यूजियम
६ जनवरी २०११चूहों या इस तरह घर में परेशान करने वाले जीवों को पकड़ पर कर अकसर उनकी गर्दन पर जोरदार वार किया जाता है. लेकिन दुनिया भर में चूहों को मारने के लिए और भी कई बर्बर तरीके अपनाए जाते रहे हैं जिन्हें जर्मन राज्य हेसे के बाड कूनिश शहर में बने म्यूजियम में देखा जा सकता है. यहां रखी एक चूहेदानी ऐसी लगती है जैसे काटने का कोई छोटा सा यंत्र हो. हालांकि इसमें तेज धार वाला कोई ब्लेड नहीं लगा है. हाइमट म्यूजियम के प्रमुख कार्ल लुडविश क्राफ्ट बताते हैं, "इस चूहेदानी में जब चूहा आता है तो उसके ऊपर एक लकड़ी का भारी टुकड़ा तेजी से गिरता है और उसकी मौत हो जाती है."
इस म्यूजियम में कई अनोखी चूहेदानियां रखी हैं जो नुकसान पहुंचाने वाले जीवों को मारने की लिए अपनाई जाने वाली इंसानी चालाकियों को प्रदर्शित करती हैं. इन बर्बर तरीकों में चूहों को डुबो कर मारना भी शामिल है. इस म्यूजियम में चूहों को खत्म करने के उन सभी तरीकों को दिखाने की कोशिश की गई है जो चीन, क्यूबा, रूस और मिस्र जैसे दुनिया के बहुत से देशों में अपनाए जाते हैं.
जहां कहीं भी इंसान रहते हैं, वहां चूहे भी पाए जाते हैं. इसीलिए उन्हें खत्म करने के अलग अलग तरीके भी लोगों ने निकाले हैं. पहले विश्व युद्ध के दौरान घर में तैयार एक चूहेदानी भी इस म्यूजियम में मौजूद है जिसमें लकड़ी और धातु से बने स्वचालित झरने से चूहों को फंसाया जाता है. क्राफ्ट कहते हैं, "जब चूहा इसमें आता है तो वह बंद हो जाता है. उससे निकलने का अकेला तरीका है धातु की ग्रिल पर चढ़ना लेकिन इस पर चढ़ते ही चूहा नीचे पानी से भरे डब्बे में गिर जाता है."
वहीं इटली के सिसली द्वीप पर लोग चूहों को पकड़ने के लिए बेहद सादा तरीका अपनाते हैं. क्राफ्ट बताते हैं, "वे अत्यधिक तेज गोंद एक बोर्ड पर लगाते हैं जिस पर चिपक कर चूहे फंस जाते हैं. चूहा उससे निकलने की कोशिश करता है लेकिन थक हार कर बाद में दम ही तोड़ देता है." इनमें से कुछ चूहेदानियां सैलानियों ने क्राफ्ट को दीं. वह बताते हैं," लोग जानते हैं कि मैं चूहेदानियां जमा करता हूं. एक चूहेदानी तो ऐसी है जिसमें चूहों को सुखा कर मार दिया जाता है."
लेकिन चूहों को मारने का सबसे आम तरीका है स्प्रिंग वाली लकड़ी की चूहेदानी जिसमें खाने की किसी चीज के साथ धातु का एक फंदा लटक रहा होता है. जैसे ही चूहा इस फंदे की तरफ बढ़ता है, चूहेदानी जोर से बंद होती है और सीधा चूहे की गर्दन पर वार करती है. क्राफ्ट बताते हैं, "यह बहुत ही बर्बर है. वार इतना तीखा होता है कि चूहे का बच पाना मुश्किल होता है."
कई चूहेदानी तो ऐसी हैं जिनमें फंसने वाले चूहों को मारे जाने के बाद उबाला भी जाता है ताकि नए चूहों को किसी खतरे की गंध महसूस न हो. चूहे को फंसाने के लिए जरूरी होता है कि वह फंदे में लगाई गई चीज की गंध को ही महसूस कर पाए. क्राफ्ट कहते हैं, "सूअर के नमक लगे मांस से चूहे बहुत आसानी से झांसे में आ जाते हैं."
रिपोर्टः डीपीए/ए कुमार
संपादनः एस गौड़