चीन से चांद पर
११ अगस्त २०१४चंद्रमा तक जाने और फिर वापस आने वाला मिशन इस साल के अंत में रवाना होगा. चीन की टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्री फॉर नेशनल डिफेंस के मुताबिक यान को इस ढंग से तैयार किया जा रहा है कि वो धरती के वायुमंडल में लौटते समय पैदा होने वाली अथाह गर्मी झेल सके.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक चंद्रमा की सतह से कई नमूने जुटाए जाएंगे. धरती पर इनका विश्लेषण होगा. अभियान से चीन को अपने चांगए-5 मिशन की तैयारियों का जायजा लेने का मौका भी मिलेगा.
चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम अरबों डॉलर का है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताकतवर हो चुका बीजिंग अब तकनीकी क्षेत्र में भी पश्चिम को टक्कर देता दिख रहा है. चीन 2020 तक चांद पर इंसान को भेजना चाहता है. वहीं सेना 2020 तक चंद्रमा की कक्षा में एक स्थायी आर्टिबिटिंग स्टेशन भी बनाना चाहती है.
मून ऑर्बिटर को दक्षिण पश्चिम प्रांत सिंचुआन के शिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा जाएगा. चीनी मान्यताओं के मुताबिक चांग चंद्रमा की देवी है. चांद पर उसका महल है, जहां वो अपने पालतू खरगोश के साथ रहती है.
चीन पहले चांगए-3 मिशन पूरा कर चुका है. बीजिंग ने उसे बड़ी सफलता बताया लेकिन अभियान में कई मैकैनिकल गड़बड़ियां आईं. चांगए-5 इसी अभियान का अत्याधुनिक संस्करण है. चुनौती बहुत की कम गुरुत्वाकर्षण बल वाले चांद से टेक ऑफ करने और फिर धरती के वायुमंडल में सफलता से घुसने की है.
धरती के वायुमंडल में लौटते वक्त घर्षण की वजह से 1500 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की गर्मी पैदा होती है. गुरुत्व बल चीजों को अपनी ओर खींचता है लेकिन उसकी बेकाबू गति से बचने के लिए रिवर्स मोशन की जरूरत पड़ती है. इसी प्रक्रिया में अथाह गर्मी पैदा होती है. फरवरी 2003 में भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई. कल्पना कोलंबिया नामके अंतरिक्ष यान में सवार थीं. धरती के वायुमंडल में घुसते ही कोलंबिया गर्मी और घर्षण की वजह से टुकड़े टुकड़े हो गया.
ओएसजे/एजेए (एएफपी)