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चीन में लोकतंत्र का सालाना जलसा

४ मार्च २०१४

जब चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने 1980 के दशक में अपनी संसद की सालाना बैठक दुनिया के लिए खोली, तो यह उम्मीद जगी थी कि राष्ट्रीय जन कांग्रेस एक खुला लोकतांत्रिक मंच बनेगा. दो दशक बाद बहुत ज्यादा नहीं बदला है.

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तस्वीर: Reuters

1987 के कांग्रेस के बाद क्रिश्चियन साइंस मोनीटर ने रिपोर्ट दी थी, "चीन सरकार ने पिछले दो हफ्तों में प्रेस सम्मेलनों के राष्ट्रीय प्रसारणों के साथ जिसमें पत्रकारों को वरिष्ठ अधिकारियों से सवाल पूछते दिखाया गया है, खुलेपन का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है." दो दशक बाद 2008 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों से पहले बढ़ते जोश के बीच वॉशिंगटन पोस्ट ने फिर से खुलेपन का झोंका देखा. "प्रस्तावों को लोगों की टिप्पणियों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है, न कि महज रबड़ स्टैंप वोटिंग के लिए."

अखबार ने यह भी लिखा कि पिछले सालों की तुलना में ज्यादा प्रेस कॉन्फ्रेंस हुए और पहली बार प्रांतीय प्रतिनिधिमंडलों की बैठक पत्रकारों के लिए खोल दी गईं. लेकिन आज चीन की कांग्रेस सिर्फ इस मायने में खुली दिखती है कि विदेशी पत्रकारों और राजनयिकों को ज्यादा समय तक सावधानी से तैयार सम्मेलन में भाग लेने दिया जाता है, जहां संसद के हजारों सदस्य भाग लेते हैं. इसके अलावा उन्हें बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल में प्रांतीय प्रतिनिधियों का भाषण सुनने का मौका भी मिलता है.

विपक्ष को मौका नहीं

सिडनी विश्वविद्यालय में चीनी राजनीति के प्रोफेसर केरी ब्राउन कहते हैं, "1990 के दशक में थ्री गोर्जेस बांध के मुद्दे पर बड़े मतभेद थे, लेकिन हाल के सालों में आप नहीं कह सकते कि राष्ट्रीय जन कांग्रेस सरकारी नीति के रचनात्मक विपक्ष का मुखर स्रोत रहा है." उनका कहना है कि यह प्रचार के प्रयासों में अधिक महत्वपूर्ण हो गया है लेकिन उसमें संरचनात्मक सुधार नहीं हुए हैं. ब्राउन इसकी मिसाल देते हुए कहते हैं कि शी जिनपिंग के राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ एक वोट उनके खिलाफ पड़ा था.

लोकतांत्रिक सुधार या इंटरनेट सेंसरशिप जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राष्ट्रीय संसद में कभी कोई चर्चा नहीं हुई है. बीजिंग के राजनीतिक समीक्षक झांग लीफान कहते हैं कि 1954 में बना कांग्रेस अभी भी रबर स्टैंप की तरह है जहां "सरकार पर सवाल उठाने वाले प्रस्तावों पर बातचीत का कोई मौका नहीं होता." झांग ने डीपीए को बताया, "एक प्रतिनिधि था जिसने सात साल पहले सूचना की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया था, लेकिन पिछले साल उससे कहा गया कि वह मामले को दोबारा नहीं उठा सकता."

विकास का प्रतीक

लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय संसद को समाजवादी लोकतंत्र के रूप में देश के विकास का प्रतीक बताती है और उसे चीन में राजसत्ता की सर्वोच्च संस्था बताती है. इस साल के अधिवेशन से पहले सरकारी समाचार एजेंसी ने जन कांग्रेस के बारे में कहा है, "छह दशक बाद भी चीन की सर्वोच्च विधायिका दमक बिखेरती है." सरकारी मीडिया संसद के अधिवेशन को जनता के लिए सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना बताता है, लेकिन अधिकांश लोग इसमें शायद ही कोई दिलचस्पी दिखाते हैं.

झांग कहते हैं कि एकदलीय व्यवस्था के कारण जन कांग्रेस में भाग लेने वाले 70 फीसदी प्रतिनिधि सरकारी अधिकारी और पार्टी सदस्य हैं. वे कहते हैं, "इसलिए राष्ट्रीय जन कांग्रेस सिर्फ सत्ताधारी पार्टी के हितों का प्रतिनिधित्व करती है. वह सभी स्तर पर लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती."

कार्यकर्ताओं के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में स्थानीय संसदों में जाने का प्रयास हाल के सालों में मुश्किल हो गया है. ब्राउन कहते हैं कि अधिकारी गैरसरकारी कार्यकर्ताओं की रणनीति को समझने के काबिल हो गए हैं. इस साल भी संसद के प्रतिनिधियों को नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और सरकार विरोधियों से अलग रखने के लिए हजारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.

एमजे/एमजी (डीपीए)

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