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चीन में पास हुआ पहला घरेलू हिंसा कानून

२८ दिसम्बर २०१५

साम्यवादी चीन में पहली बार घरेलू हिंसा पर काबू पाने के लिए कानून बनाया गया है. संसद द्वारा कानून पास किए जाने के एक दिन बाद कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ता इसकी सराहना कर रहे हैं तो कुछ उसे अपर्याप्त बता रहे हैं.

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Symbolbild - Gewalt gegen Frauen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Gambarini

रविवार को संसद द्वारा पारित घरेलू हिंसा कानून मार्च से लागू होगा. महिला संगठन और नागरिक अधिकार संगठन पिछले दस साल से महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए इस तरह के कानून की मांग कर रहे थे. इस अवधि में देश के लगभग सभी प्रांतों ने घरेलू हिंसा को रोकने के लिए कानून बना दिए थे. कानून बनाने में देर इसलिए लग रही थी कि परंपरागत सोच रखने वाले अधिकारियों का मानना था कि परिवार में होने वाले झगड़े निजी मामले होते हैं. नए कानून के बारे में जानकारी देते हुए संसद की कानूनी आयोग के सदस्य गुओ लिनमाओ ने कहा, "परिवार के सदस्यों के बीचे रिश्ते जटिल होते हैं, जिसकी वजह से कानून बनाने में इतनी देर हुई."

समाचार एजेंसी शिनहुआ के अनुसार नए चीनी कानून में घरेलू हिंसा की व्याख्या परिवार के सदस्य द्वारा शारीरिक, मानसिक या दूसरा नुकसान पहुंचाए जाने के रूप में की गई है और पिटाई और मौखिक धमकी के उदाहरण दिए गए हैं. यह विवाहित पार्टनर, बच्चों और बुजुर्गों के अलावा साथ रहने वाले हेट्रोसेक्सुल पार्टनर को सुरक्षा देता है. इस कानून के तहत फौरी खतरा महसूस कर रहे लोग व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए अर्जी दे सकते हैं, जिसके तहत हिंसा करने वाले इंसान को घर छोड़ना होगा और अदालत को 72 घंटे के अंदर फैसला सुनाना होगा.

नए कानून के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे फेंग युआन ने संसद के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही इस बात की आलोचना की है कि नया कानून होमोसेक्सुएल पार्टनर को सुरक्षा प्रदान नहीं करता. उन्होंने कहा, "नया कानून शारीरिक और मानसिक हिंसा की बात करता है लेकिन यह साफ साफ नहीं कहता कि यौन हिंसा भी हिंसा है." मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि नए कानून में होमोसेक्सुअल पार्टनरों के बीच यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा को नजरअंदाज कर दिया गया है. भेदभाव विरोधी अभियान की यीरेनपिंग ने कहा है, "यह नाकाफी है."

घरेलू हिंसा पर हुए सरकारी सर्वे के अनुसार चीन में हर चौथी विवाहित महिला को किसी न किसी समय घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा है. देहाती इलाकों में यह दर और भी ज्यादा है जहां दो तिहाई औरतें घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं. इस हिंसा के कई रूप हैं जिनमें शारीरिक हिंसा के अलावा यौन हमला, भावनात्मक उत्पीड़न और आर्थिक अभाव शामिल है. अब तक इस तरह की शिकायतों का निबटारा विवाह और बाल रक्षा नियमों के तहत किया जाता था. मार्च में कानून लागू हो जाने के बाद पुलिस को शिकायत के हर मामले पर फौरन कार्रवाई करनी होगी.

एमजे/आरआर (एएफपी, एपी)