चीन की हवा होगी साफ
१० जून २०१४बीजिंग में वायु प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी सरकार की मुहिम में कुछ वैश्विक कंपनियां बेहद महत्वपूर्ण भूमिका और मुनाफा कमाने की ओर अग्रसर दिख रही हैं. चीन के गाड़ी निर्माता उन कंपनियां के साथ गहरे व्यापारिक रिश्ते बना रहे हैं जिनके पास गाड़ियों से निकलने वाली गंदी गैंसों और धुएं को साफ करने की तकनीक है.
इकोमोटर्स जैसी नई कंपनी, जिसके पीछे बिल गेट्स का हाथ है या फिर फ्रेंच ऑटो पार्ट सप्लायर फॉरेशिया, जो पीजो की ही कंपनी है, चीन में जनवरी से लागू होने वाले नए डीजल नियमों के अनुसार तैयारी में लगी हैं. इकोमोटर्स के प्रेसिडेंट अमित सोमण बताते हैं कि कई चीनी ऑटोनिर्माता पुराने इंजनों में छोटे मोटे बदलाव लाने की बजाए सीधे ईंधन बचाने वाली नवीनतम तकनीक को अपना रहे हैं.
खतरनाक स्तर
अमेरिका की डीजन इंजन निर्माता कंपनी कुमिन की चीनी ईकाई के उपनिदेशक लियु शियाओशिंग चीन को अपना सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाजार बताते हैं, "साफ साफ कहूं तो चीन में उत्सर्जन के बढ़े हुए स्तर से हमें ही फायदा पहुंचेगा. इससे हमारा व्यापार और बढ़ेगा."
दशकों से विकास की राह पर सरपट भागने की कोशिश में चीन में आज प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है. हर साल लाखों लोगों की वायु प्रदूषण से होने वाली तमाम बीमारियों के कारण मौत हो रही है. चीन की एक पर्यावरण निगरानी संस्था का मानना है कि देश में गंदी हवा के लिए गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. डीजल से चलने वाले ट्रकों और लॉरियों से निकलने वाली खतरनाक गैसों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और पर्टिकुलेट मैटर को हवा में घुलने से रोकने के लिए अगले साल डीजल उत्सर्जन के कड़े मानक तय किए जाएंगे.
दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार भारत जैसे ज्यादातर विकासशील देशों में हर साल करीब 20 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवाते हैं. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के हिसाब से बीजिंग दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. इसी साल करीब 60 लाख ऐसी कारों को सड़कों से हटा लिया जाएगा जो तय सीमा से ज्यादा उत्सर्जन कर रही हैं. इसके अलावा प्रति यात्री कार ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में भी काम होगा.
एक जनवरी, 2015 से चीन में काफी लंबे समय से टलते चले आ रहे 'नेशनल स्टेज4' उत्सर्जन मानक को लागू कर दिया जाएगा. यह स्तर यूरोपीय देशों में डीजल गाड़ियों में पहले से ही लागू 'यूरो4' मानक के जैसा है. इसका मतलब यह होगा कि इस तरह की साफ सुथरी गाड़ियों की मांग और बिक्री खूब बढ़ेगी. फॉरेशिया के उत्सर्जन नियंत्रण तकनीक ईकाई के एशिया निदेशक मथियास मीडराइष का मानना है कि उनकी कंपनी अगले 5-6 साल ऑटो उद्योग की औसत वृद्धि दर के मुकाबले करीब 40 फीसदी ज्यादा तेजी से बढ़ेगी."
आरआर/आईब (रॉयटर्स)