चीन ने कहा ताइवान कोई देश नहीं है
२७ सितम्बर २०१७ताइवान की सरकार ने चीन के इस बयान पर पलट कर जवाब दिया है कि रिपब्लिक ऑफ चायना एक संप्रभु देश था और चीन चाहे जो कहे वह इस सच्चाई को नहीं बदल सकता. रिपब्लिक ऑफ चायना ताइवान का आधिकारिक नाम है. ताइवान चीन के लिए सबसे संवेदनशील मामलों में से एक है. चीन ने ताइवान को अपने नियंत्रण में रखने के लिए कभी भी बल प्रयोग से परहेज नहीं किया और इस द्वीप को वह अपने शासन का एक विद्रोही प्रांत समझता आया है.
हारे हुए राष्ट्रवादी ताकतों ने 1949 में चीनी गृह युद्ध खत्म होने के बाद भाग कर इस द्वीप का रुख किया था. ताइवान 1895 से 1945 तक जापान का उपनिवेश था.
मंगलवार को संसद में ताइवान के नए प्रधानमंत्री विलियम लाइ ने कहा वह एक "राजनीतिक कार्यकर्ता थे जो ताइवान की आजादी की वकालत करते थे," लेकिन यह पहले से ही एक स्वतंत्र देश था जिसे रिपब्लिक ऑफ चायना कहा जाता था और उसे आजादी की घोषणा करने की जरूरत नहीं है.
चीन में ताइवान मामलों के दफ्तर के प्रवक्ता मा जियाओगुआंग ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि पूरे ताइवान से रिश्ते सीधे रहे हैं और वो देश के देश से रिश्ते नहीं हैं. साथ ही ना तो कोई चीन है ना कोई ताइवान. मा का कहना है, "ताइवान चीन का एक अटूट हिस्सा है और वह ना तो कभी एक देश था ना देश बन सकता है."
ज्यादा विस्तार में गये बगैर प्रवक्ता ने कहा, "मुख्य भूभाग वाला पक्ष 'ताइवान की आजादी' को शाब्दिक और कार्य रूप में कभी स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि राष्ट्रीय अलगाव की जो ऐतिहासिक गलती हुई है उसे दोहराया नहीं जा सकता. ताइवान की आजादी के अलगाववाद में शामिल होने के नतीजे होंगे."
ताइवान के मुख्य भूभाग मामलों की परिषद का कहना है कि चीन क्या कहता है इसका कोई महत्व नहीं है, लेकिन यह एक "वास्तविक सच्चाई" थी कि रिपब्लिक ऑफ चायना एक संप्रभु देश था. बयान में यह भी कहा गया है, "ताइवान का भविष्य और जलडमरूमध्य में उसके रिश्तों का विकास ताइवान के 2.3 करोड़ लोग संयुक्त रुप से करेंगे."
ताइवान के अधिकारियों ने पहले कहा था कि ताइवान की आजादी का एलान करने की जरूरत नहीं है क्योंकि रिपब्लिक ऑफ चायना पहले से ही एक स्वतंत्र देश है. इसके क्षेत्र में ताइवान के साथ ही चीन के पास और दक्षिण चीन सागर के कुछ द्वीप भी शामिल हैं.
पिछले साल के चुनाव में साइ इंग वेन पार्टी की जीत के साथ ही चीन और ताइवान के बीच रिश्तों में खटास आ गई है. चीन को संदेह है कि यह पार्टी ताइवान की स्वतंत्रता चाहती है हालांकि इस पार्टी का कहना है कि वह चीन के साथ शांति बनाये रखना चाहती है. चीन ने ताइवान के साथ नियमित बातचीत की व्यवस्था को निलंबित कर दिया है.