चीनी मिट्टी की महंगी दुनिया: माईसन पॉर्सेलेन
१७ जून २०१०माईसन पॉर्सेलेन दुनिया की सबसे मंहगी चीनी मिट्टी की वस्तुएं बनाती है. सुंदर रंगों में सजे पॉर्सेलेन की वस्तुएं. कप प्लेट से लेकर, घड़ियां, गहने. जो चाहिए मिलेंगे माइसन पॉर्सेलेन की फैक्टरी में. यह कंपनी इस साल 300 साल की हो जाएगी. जितनी महंगी उतनी ही लोकप्रिय. क्या है माईसन पॉर्सेलेन का राज़?
"हम सही दिशा में जा रहे हैं क्योंकि हमें पता है कि हमारी योग्यता क्या है, चूंकि हम लक्जरी वस्तुएं बेचते हैं इसलिए हमें ये जानना बहुत ज़रूरी है कि हमारा लक्ष्य क्या है ? हमारा लक्ष्य है एक मकान को घर बनाना. मतलब दीवारों से लेकर जमीन तक, घर की सजावट के लिए एक दिल लूट लेने वाली वस्तुएं तैयार करना. मेरा मानना है कि हमारी अनोखी शैली, हज़ारों रंगों और शिल्प के कारण, हम अपना लक्ष्य हासिल करते आए हैं और इसलिए 300 सालों बाद भी हम उंची उड़ान भर रहे हैं." कंपनी के व्यवसाय अध्यक्ष डॉ. क्रिस्टियान कुअर्टस्क
पॉर्सेलेन यानी चीनी मिटटी के बर्तन बनाने की परंपरा तो चीन की है. वहां की क्रॉकरी दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन अब 300 साल की माईसन पॉर्सेलेन, ने इस कला में चीन को ही पीछे छोड़ दिया है. ये यूरोप की इकलौती चीनी मिट्टी की चीज़ें बनाने वाली कंपनी है. आखिर क्या फर्क है चीन की चीनी मिट्टी में और माइसन में.
"चीनी मिटटी कि वस्तुएं बनाने कि परंपरा चीन से आती है और यह बहुत पुरानी भी है. लेकिन फिर भी एशियाई पॉर्सेलेन और माईसन पॉर्सेलेन में बहुत फर्क है. एशियाई पॉर्सेलेन अपनी पुरानी परंपरा पर ही चल रहा है, मतलब सौ साल पुराने डिसाइन की नक़ल और हुबहू पुराने डीसाइन की एक नई कॉपी बनाना. यूरोप का पॉर्सेलेन कई युगों, संस्कृतियों और शैली से प्रभावित है. हमारे ढांचे पुराने हैं और उसे बनाने की स्टाइल नई और यही नई शैली हमें एशियाई पॉर्सेलेन से अलग करती है." डॉ. क्रिस्टीयान कुअर्टस्क.
रूस के लोगों के लिए सोने से तराशी हुई चीजें चाहिए, इंग्लैंड के लोगों को चीनी मिटटी के बने ख़ास कुत्ते मंगवाते हैं जबकि जर्मन लोगों को रंगीन फूलों की चित्रकारी वाले चीनी मिट्टी की कलाकृति पसंद है. इसके लिए 800 कर्मचारी और 300 कलाकार माईसन के कारखाने में काम करते हैं. और इनकी यह कलाकृतियां 30 अलग अलग देशों में भेजी जाती है.
"एक ही देश के उत्तर, दक्षिण, पूरब और पशिम में लोगों की अलग अलग पसंद होती है. हम एक ही तरह की सफ़ेद प्लेटे या फिर फूलदान बना कर सभी देशों में नहीं भेज सकते. हमारा लक्ष्य है कि हम 8 लाख सांचों और 3 हज़ार से भी ज्यादा डिज़ाइन्स से सबके लिए कुछ नया बनाये. जो वहां के लोगों की पसंद के का हो." डॉ. क्रिस्टीयान कुअर्टस्क.
पूरा डिनर सेट, घर की सजावट के लिए सोने और जवाहरात से नकाशी हुई मूर्तियां, फूलदान, आलिशान झूमर, और यही नहीं पुरुषों और महिलाओं के लिए गहने भी. प्लेट पर बना रंगबिरंगे फूलों का डीजाइन, और उसपर की गयी कारीगरी और शिल्पकला को देख लोग अपनी सुध बुध ही भूल जाएं और सोचने लगें कि इतनी सुंदर प्लेट में खाना खाया भी जाए या नहीं. माइसन के इस कारखाने में सजावट का सारा काम हाथ से किया जाता है. कर्मचारी घंटो और महीनों में एक वस्तु पूरी करते हैं.
"मैं यहां चालीस सालों से काम कर रही हूं. पिछले हफ्ते ही मैंने यहां काम करने की चालीसवीं सालगिरह मनाई है.मैंने इस काम के लिए ख़ास ट्रेनिंग ली है. तीन साल मैंने शिल्पकला सीखी और फिर दो साल मैंने अपनी ट्रेनिंग माईसन में ही की. अपनी पढ़ाई के बाद मैंने कुल मिलाकर पांच साल यह काम सीखा है. और यहां पर काम मिलना कोई आम बात नहीं है. मुझे गर्व है कि मैं माईसन कंपनी में काम कर रही हूं क्योंकि यह यूरोप की सबसे पहली पॉर्सेलेन फैक्ट्री है." कर्मचारी लिसा कारमेन
300 साल पूरे होने पर माईसन ने अपनी बेहतरीन चालीस चीजें चुनी है, जिनकी ऊंची बोली लगायी जाएगी. सबसे महंगी बिक रही है 1780 के के सांचे में ढली, एक फुट लंबी घड़ी. बोली लगायी गयी है सत्तावन लाख रूपये से भी ज़्यादा. "यह घड़ी एक मास्टर पीस है. उसपर की गयी बारीक नकाशी बहुत ही नाज़ुक है और इसमें बहुत सारी छोटी छोटी मूर्तियां लगायी गयी है. इसे शाही रंग देने के लिए सोने से मढ़ा गया है.इस घड़ी की तकनीक भी बहुत ख़ास है. यह घड़ी सिर्फ वो कर्मचारी बना सकते हैं, जो हमारे यहां तीस या चालीस सालों से काम कर रहे हैं. इसे बनाने में महीनों लगते हैं. और अगर कुछ भी गड़बड़ होती है तो घड़ी फिर एक बार नए सिरे से बनाई जाती है."डॉ. क्रिस्टीयान कुअर्टस्क.
महंगी होने के कारण भी इस घड़ी की मांग बहुत है. लेकिन इस तरह की केवल दस घड़ियां बनाई गई हैं. और ऐसा ही हाल है माईसन में बिकने वाली हर चीनी मिट्टी की वस्तु का. तभी हैं यहां की चीजे अनूठी. लेकिन ऐसे कई लोग भी हैं जो माईसन की लोकप्रियता के कारण यहां कुछ खरीदने तो नहीं लेकिन घूमने जरूर आते हैं. ऐसे ही कई लोग इस साल भी यहां पहुंचे.
कारीगरी और रंगों को देखकर तो मैं भी खो गयी थी. माईसन अपनी चीनी मिटटी की वस्तुओं को स्पेशल बनाने के लिए खुद दस हज़ार रंग बनाता हैं. हर साल माईसन में दुनिया भर से मशहूर कलाकारों को बुलाया जाता है ताकि इन शानदार रंगों का जानदार इस्तमाल किया जा सके.
"हम राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय कलाकारों के साथ मिलकर काम करते हैं. हमने फैक्ट्री में ही माईसन आर्ट केम्पस नाम का एक स्टूडियो बना दिया है. यह स्टूडियो एक पूरी मंजिल पर बनाया गया है. दुनिया भर से आये कलाकारों को यहां सभी सुविधाएं दी जाती हैं, ताकि वे अपने नए नए आईडिया लगाएं और नए प्रयोग करें. राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय कलाकारों के साथ काम करने से हमें बहुत फायदा होता है." डॉ. क्रिस्टीयान कुअर्टस्क
लाखों रुपये वाली ये चीनी मिट्टी की वस्तुएं लोगों के दिलों में बस जाती हैं. जो इसे ख़रीद कर अपने घर नहीं ले जा सकते वे इसे अपने दिल और कैमरे में समेट कर अपन साथ ले जाते हैं. अभी तो ये पश्चिमी देशों के रईसों के घरों में सजी है लेकिन जल्द ही माइसन पॉर्सेलेन फैक्ट्री में बने चीनी मिट्टी के बर्तन भारत के आलीशान होटलों में भी दिखाई देंगे.
रिपोर्ट: जैसू भुल्लर
संपादन: आभा मोंढे