चीनी कैलेंडर के प्रतीकों के मायने
साल के 12 महीनों की ही तरह 12 राशियां भी मानी जाती हैं. चीनी कैलेंडर में कुछ खास जानवर इसके प्रतीक होते हैं और उनके बारे में प्रचलित कहानियां भी काफी दिलचस्प हैं.
चूहा 鼠
साल 2008 चूहे का अंतिम साल था. तब रूस में इसकी लोकप्रियता के नए रिकार्ड बन गए. चीन के इस पड़ोसी देश में पालतू पशुओं की दुकानों से चूहे हाथों हाथ बिक गए. साल 2020 फिर होगा चूहों का साल.
बैल 牛
दक्षिण कोरिया में बैल को लेकर एक मजेदार कहावत प्रचलित है. अगर कोई आपकी बात ना सुन रहा हो, तो कहते हैं, "पूरा बौद्ध ग्रंथ बैल के कान में पढ़ दिया."
बाघ 虎
प्राचीन चीन में बाघ को "पहाड़ों का राजा" माना जाता था, जो सभी दूसरे जानवरों पर राज करता था. कहानियां हैं कि जब बाघ 500 साल का हो जाता है तब वह सफेद रंग का हो जाता है. शायद इसीलिए आज भी कई लोग उन्हें मृतात्माओं का संरक्षक मानते हैं.
खरगोश 兔
चीनी पौराणिक कथाओं में खरगोश को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. प्राचीन काल में मान्यता थी कि खरगोश चंद्रमा पर रहते थे. एक कहानी तो ऐसी भी है कि खरगोश एक लड़की के रूप में घोड़े, बाघ या शेर पर सवार होकर चंद्रमा से बीजिंग में उतरा था, और महामारी से मर रही पूरी आबादी की जान बचाई थी.
ड्रैगन 龍
एक समय पर ड्रैगन चीनी बादशाहों का प्रतीक हुआ करता था. चीनी राशि चक्र का यह एकलौता काल्पनिक पशु है, और इसे शाही सफलता और प्रसन्नता का चिन्ह मानते हैं.
सांप 蛇
माना जाता है कि जिन लोगों का जन्म सांप के साल में हुआ, वे अच्छाई और महानता के रास्ते पर चलते हैं. जॉन एफ केनेडी, पाब्लो पिकासो, ऑड्री हेपबर्न जैसे लोग सांप के साल में जन्मे थे. इसके अलावा चीनी मान्यता है कि मानव की रचना नू वा ने की, जो कि आधी महिला और आधी सांप थीं.
घोड़ा 馬
2014 घोड़े का साल था. इस साल चीन में बेबी बूम यानि खूब सारे बच्चों का जन्म दर्ज हुआ. चीन के कुछ हिस्सों में तो बीते साल इतने नवजात आए कि सरकारी दफ्तरों में जन्म के पंजीकरण वाले दस्तावेज कम पड़ गए.
बकरी 羊
बकरी या भेड़ के साल में पैदा हुए बच्चों को बोरिंग और महात्वाकांक्षारहित माना जाता है. इस धारणा के चलते कई लोग इस साल में बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. 2015 भी भेड़ का साल है.
बंदर 猴
चीनी पौराणिक कथाओं में बंदर के कई प्रकार होते हैं. लंबे हाथों वाला प्राइमेट "शियाओ" या फिर पहाड़ों में पाया जाने वाला इंसानी शक्ल से मिलता जुलता और कपि जैसे शरीर वाला बंदर. यहां बंदरों के साथ कई दैवीय शक्तियों को जोड़कर भी देखा जाता है.
कॉकेरेल 雞
चीन में सुबह सुबह देसी मुर्गे की बांग को ना केवल एक नई शुरुआत, बल्कि बुरी आत्माओं को दूर भगाने का प्रतीक भी मानते हैं. माना जाता है कि कॉकेरेल उसी दिन बना था जिस दिन स्वर्ग और धरती का निर्माण हुआ. इसके बाद आए कुत्ता, बकरी, सूअर, बैल और घोड़ा.
कुत्ता 狗
आज जितनी भी फसलें हैं उनके लिए इंसान को कुत्तों का अहसानमंद होना चाहिए- ऐसी चीनी मान्यता है. दक्षिणी चीन में एक मिथक यह भी है कि एक समय पर कुत्ते की नौ पूंछें हुआ करती थीं. लेकिन आठ पूंछें स्वर्ग से इंसान के लिए बीज चुरा कर लाते समय देवों के साथ हुई लड़ाई में चली गईं.
सूअर 豬
सूअर का चीनी मिथकों में खास स्थान है. शोधकर्ता मानते हैं कि चीनी ही वे पहले लोग थे, जिन्होंने पहली बार करीब 10,000 साल पहले जंगली सूअर को पालतू बनाया था. हान कुल में किसी की मृत्यु के बाद उसके शव के साथ मिट्टी के बने छोटे से सूअर, बैल, भेड़ और कुत्ते भी दफनाने की परंपरा था.