चहचहाती कुकू घड़ियां
दीवार पर टंगी एक छोटी सी टिक टिक करती लकड़ी की झोपड़ी. हर घंटे पर इसकी एक छोटी सी खिड़की खुलती है, और उसमें से चिड़िया बाहर आकर समय बताती है. जर्मनी की मशहूर घड़ियां यहां की संस्कृति को दर्शाती हैं.
ढांचा पुराना, रूप नया
जर्मन कलाकार श्टेफान श्ट्रुम्बेल ने पारंपरिक घड़ी को नियॉन पॉप रूप दिया है. इसके लिए उनकी तारीफ तो हुई ही, पर साथ ही उन्हें काफी नफरत भरे मेल भी आए. इसके बावजूद 2011 में श्ट्रुम्बेल पहले जर्मन कलाकार थे जिन्होंने कुकू घड़ी को न्यूयॉर्क टाइम्स मैगजीन के कवर फोटो के लिए डिजाइन किया.
दुनिया की सबसे बड़ी
वैसे तो दुनिया की सबसे बड़ी कुकू घड़ी के लिए ट्राइबर्ग जाना जाता है, लेकिन असली घड़ी पड़ोसी शहर शोनाख में बनी हुई है. इसे बनाने वाले योसेफ डोल्ड मानते हैं कि यह थोड़ी छोटी हो सकती है, लेकिन उन्होंने यह घड़ी तीन साल में हाथ से बनाई है.
समय बताने वाले खिलौने
'कुकुक्सउहर मोनामोर' नाम की एक प्रदर्शनी जर्मनी के फुर्टवांगेन क्लॉक म्यूजियम में लगाई गई है. तीन नवंबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कुकू घड़ी से जुड़ी सारी चीजें हैं. यह संग्रहालय 1852 में खुला था और यह जर्मनी में घड़ियों के सबसे बड़े संग्रहालयों में एक है.
कुकू बीयर
मार्टिन लूथर और काथरीना फॉन बोरा से होते हुए 14वीं पीढ़ी में पारिवारिक बीयर की रेसिपी लुडविग जेर्ब्स (बाएं) के हाथ में आई. 2012 में मृत्यु से पहले तक वह बीयर प्रोसेसिंग देखती थीं. और उन्होंने एक बीयर का नाम अपनी पसंदीदा चिड़िया कुकू के नाम पर कुकूक्स बीयर रखा.
खतरे में कुकू
जिस चिड़िया के नाम से ये घड़ियां बनी हैं, वह खतरे में है. अफ्रीका में सर्दियां गुजारने के बाद ये पंछी दूसरी चिड़ियाओं के घोसले में अंडा देने यूरोप आती हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण अंडों के सेने और चूजे निकलने का समय कम हो गया है. इसलिए कुकू (कोयल) जब लौट कर आती है, तो घोंसले उन्हें कम ही मिलते हैं.
फैशन
यह कोई ताजा फैशन नहीं है. यह ड्रेस 1917 में लियोन जेसेल के ओपेरा ब्लैक फॉरेस्ट गर्ल के लिए डिजाइन की गई थी. इसमें मारिएल एन कीटेल ने कुकू घड़ी की भूमिका निभाई थी.
ताप से
फ्राइबुर्ग यूनिवर्सिटी के इंजीनियर फ्रांत्स रिषर्ट ने शरीर की गर्मी से चलने वाली कुकू घड़ी बनाई है. यह उन्होंने शंघाई में होने वाले वर्ल्ड्स फेयर के लिए तैयार की थी. जब घड़ी हाथ में ली जाती है तो अंदर लगा थर्मो जनरेटर हाथ की गर्मी को ऊर्जा में बदल देता है, जिससे कुकू चहचहाती है.
उड़ता समय
बाडेन के स्टेट म्यूजियम में लगी डिजाइन+इमोशन नाम की प्रदर्शनी में लगी यह घड़ी पारंपरिक घड़ियों से बिलकुल अलग है. यहां दिखाए गई 200 घड़ियों में से यह डिजाइन मिषाएल सान्स का था.
ब्लैक फॉरेस्ट
जर्मनी के दक्षिणी इलाके ब्लैक फॉरेस्ट का केक और कुकू घड़ियां खूब मशहूर हैं. 18वीं सदी के मध्य में इस इलाके में खूब इस तरह की घड़ियां बननी शुरू हुईं और ये दिन ब दिन खूब मशहूर हुईं.
एकदम पारंपरिक
सामान्य तौर पर दक्षिणी जर्मनी के लकड़ी से बने घर इस घड़ी का ढांचा होते हैं. बारीक काम और सुंदर कारीगरी इसकी खासियत होती है. ब्लैक फॉरेस्ट में बनाई जाने वाली ये घड़ियां अक्सर अमेरिकी ग्राहक खरीदते हैं.
घड़ी ही नहीं
ये घड़ी इतनी मशहूर है कि लोग कार्निवाल में कुकू घड़ी बन कर भी पहुंच जाते हैं. ऐसी ही एक तस्वीर आप यहां देख सकते हैं. पर्यटकों को भी यह घड़ी बहुत लुभाती है.