घंटों बैठे रहने के लिए नहीं बना इंसान
इंसान का शरीर एक गतिशील प्राणी के हिसाब से बना है. लेकिन अगर नौकरी के कारण 8-10 घंटे बैठे रहने की मजबूरी हो तो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए में काम आएगा यह आसान सा उपाय. आजमाइए और फिट रहिए.
अगर आपका शेड्यूल ऐसा है कि सारा दिन दफ्तर में बैठ कर गुजरता है तो आपके उसी शेड्यूल में ब्रिस्क वॉक यानि तेज कदमों से चलने के लिए भी कम से कम एक घंटा रखना चाहिए.
करीब 10 लाख से भी अधिक लोगों के डाटा का विश्लेषण कर वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि लगभग 8 घंटे बैठे रहने से शरीर को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए एक इंसान को 60 से 75 मिनट तक "मध्यम तीव्रता" वाले एक्सरसाइज की जरूरत होती है.
रिसर्चरों का मानना है कि दिन भर बैठ कर बिताने वाले लोग अगर इतनी देर भी व्यायाम नहीं करते हैं तो यह उनके लिए उतना ही खतरनाक है जितना मोटापा या सिगरेट पीना होता है.
एक और ध्यान देने वाली बात है टेलिविजन के सामने घंटों बिताना. अगर ऑफिस के 8 घंटे के बाद बचे हुए 4-5 घंटे आप टीवी के सामने स्थिर पड़े रह कर बिताते हैं तो एक घंटे की एक्सरसाइज भी आपके लिए काफी नहीं होगी.
दिन का इतना लंबा समय बैठ कर बिताने से हृदय, धमनियां, हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. यह डायबिटीज, कैंसर और दिल की बीमारियों को आमंत्रित करने जैसा है.
एक्टिव रहने से शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध पैदा नहीं होता, दिमाग तेज होता है, दिल, मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं. दफ्तर में लंच के समय एक छोटी वॉक के लिए जा सकते हैं, सुबह या शाम को दौड़ने या साइकिल चलाने की आदत डाल सकते हैं.
लैंसेट जर्नल में प्रकाशित हुए इन नतीजों पर पहुंचने के लिए रिसर्चरों ने अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के 45 से अधिक उम्र वाले लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन हर दिन 30 मिनट व्यायाम की सलाह देता है जो कि इस स्टडी के हिसाब से पर्याप्त नहीं है.
डेनमार्क और स्कैंडेनेविया के कई देशों में लगभग आधी आबादी आफिस या तो पैदल जाती है या तो साइकिल से. ऐसे में उनकी पर्याप्त एक्सरसाइज हो जाती है. बाकी देशों के लोगों को भी अपनी दिनचर्या के हिसाब से कम से कम एक घंटे एक्टिव रूप से बिताने का कोई ना कोई रास्ता निकालना ही होगा.