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ग्रुप ऑफ डेथ में फंसा जर्मनी

२३ जून २०१४

पहले मैच में चार गोल करने के बाद भी क्या जर्मनी वर्ल्ड कप से बाहर हो जाएगा. क्या अमेरिका और घाना इस ग्रुप से अगले दौर में जाएंगे. यह भी संभव है. शायद पहली बार वर्ल्ड कप में ग्रुप ऑफ डेथ के सही मायने समझ में आ रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पुर्तगाल का घटिया खेल उसके दूसरे मैच में भी जारी था, जब वह अमेरिका जैसी औसत टीम से पिछड़ा हुआ था, एक्स्ट्रा टाइम के पांच मिनट भी निकलने वाले थे कि अचानक बलोन डेओर जीतने वाले क्रिस्टियानो रोनाल्डो का पास वरेला के पास "वरदान" बन कर आया. इस गोल ने अमेरिका से हिसाब 2-2 से बराबर किया और ग्रुप जी का हिसाब किताब गड़बड़ा दिया. कहां तो अमेरिका आसानी से अगले दौर में पहुंच रहा था और कहां अब उसके इस नतीजे ने जर्मनी की सांस अटका दी.

अब क्या हो सकता है. अजीबोगरीब समीकरण बन रहे हैं

  • अगर अमेरिका अगले मैच में जर्मनी से जीतता या ड्रॉ करता है, तो वह आगे बढ़ जाएगा.
  • ड्रॉ की सूरत में जर्मनी ग्रुप में टॉप पर रहेगा और उस ग्रुप के दूसरे मैच के नतीजे का कोई असर नहीं पड़ेगा.
  • अगर घाना और पुर्तगाल का मैच ड्रॉ होता है, तो भी जर्मनी और अमेरिका ही आगे बढ़ेंगे.
  • अगर घाना जीत जाए और अमेरिका हार जाए, तो घाना अगले राउंड में क्वालीफाई कर जाएगा.
  • अगर पुर्तगाल पांच गोल से घाना को हरा दे और अमेरिका अपने मैच में जर्मनी को हरा दे, तो अमेरिका और पुर्तगाल आखिरी 16 में होंगे.

ऐसे कई और समीकरण निकाले जा सकते हैं. जहां दूसरे ग्रुपों में आम तौर पर आगे की लाइन साफ होती दिख रही है, ग्रुप जी में एक भी टीम पक्के तौर पर अगले राउंड में प्रवेश नहीं कर पाई है. इसी संभावना को ग्रुप ऑफ डेथ कहा जाता है.

WM 2014 Gruppe G 2. Spieltag Deutschland Ghana
घाना ने जर्मनी के खिलाफ शानदार खेलातस्वीर: Reuters

क्या है ग्रुप ऑफ डेथ

पहली बार मेक्सिको की मीडिया ने इस टर्म का इस्तेमाल 1970 में किया, जब इंग्लैंड, ब्राजील, रोमानिया और चेकोस्लोवाकिया एक ही ग्रुप में फंस गए. इंग्लैंड पिछला वर्ल्ड कप (1966) जीता था, ब्राजील सबसे ताकतवर टीम थी, चेकोस्लोवाकिया 1962 का उपविजेता था और रोमानिया उस वक्त एक बहुत मजबूत टीम थी. हर ग्रुप से ऊपर की दो टीमों को अगले दौर में पहुंचना होता है, जो अंकों या फिर गोल औसत से निर्धारित होता है. दूसरे दौर से नॉकआउट मुकाबला शुरू हो जाता है.

इसके बाद से हर विश्व कप में एक ग्रुप ऑफ डेथ हुआ करता है. इसे मीडिया ही तय करती है, कोई आधिकारिक एलान नहीं होता. 1982 विश्व कप फुटबॉल के दूसरे दौर में जब अर्जेंटीना, ब्राजील और इटली एक ही ग्रुप में पहुंच गए, तो इसे इतिहास का सबसे घातक ग्रुप ऑफ डेथ करार दिया गया.

वर्ल्ड कप में कोशिश होती है कि टीमों को ग्रुपों में इस तरह बांटा जाए कि मजबूत और कमजोर टीमों का सही समीकरण बन सके. इसके लिए फीफा रैंकिंग को आधार बनाया जाता है. एक टॉप सीडेड टीम के साथ तीन अनसीडेड टीमों को डाला जाता है. ये टीमें दुनिया के अलग अलग हिस्सों से आती हैं क्योंकि वर्ल्ड कप में सभी महाद्वीपों का कोटा तय है. इनमें कई बार मजबूत टीमें भी होती हैं, जैसे चार बार की अफ्रीकी चैंपियन घाना या फीफा में 13वीं रैंकिंग पर चल रही अमेरिका की टीम. अगर इन्हें जर्मनी के साथ एक ही ग्रुप में मिला दिया जाए और उसमें बेस्ट फुटबॉलर रोनाल्डो की टीम पुर्तगाल को भी शामिल कर दिया जाए, तो फिर हर मैच मुश्किल हो जाता है.

बहरहाल, अमेरिका और पुर्तगाल के मैच ने इस ग्रुप को विश्व कप का सबसे चर्चित ग्रुप बना दिया है, जिसके दो विजेताओं का फैसला गुरुवार को आखिरी दोनों मैचों के आधार पर ही होगा. और किसी तरह की फिक्सिंग रोकने के इरादे से दोनों मैच एक साथ खेले जाएंगे.

ब्लॉगः अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा