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ग्रीनपीस सदस्यों को आजादी

२७ दिसम्बर २०१३

पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस के 6 सदस्यों ने रूस में माफी मिलने के बाद देश छोड़ दिया है. 6 सदस्यों में 5 ब्रिटेन के हैं और एक कनाडा का. माफी देने के बाद इन सदस्यों के खिलाफ केस बंद कर दिया गया है.

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तस्वीर: Reuters

पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस ने कहा है कि आर्कटिक में तेल की खोज के लिए ड्रिलिंग का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस बंद कर दिया गया है और उन्हें देश छोड़ने की इजाजत दी जा रही है. सितंबर महीने में इन कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया था. ग्रीनपीस के मुताबिक जिन लोगों को रिहा किया गया, उनके नाम हैं एंथोनी पेरेट, फिल बॉल, इयेन रॉजर्स, एलेक्स हैरिस और किरोय ब्रायन. ये सभी ब्रिटेन के नागरिक हैं. इनके अलावा कनाडा के एलेक्जांड्र पॉल भी शामिल हैं.

ग्रीनपीस के 30 कार्यकर्ताओं को रूस ने आर्कटिक से गिरफ्तार किया था. उत्तरी ध्रुव में पर्यावरण से हो रही छेड़छाड़ का विरोध करते हुए ये कार्यकर्ता रूस के तेल प्लेटफॉर्म पर चढ़ गए थे. आर्कटिक 30 के नाम से इस समूह में 4 रूसी नागरिक भी शामिल हैं.

ग्रीनपीस ने हैरिस का बयान जारी किया है, जिसमें हैरिस ने रूस छोड़ने से पहले कहा, ''हम रूस छोड़ रहे हैं. सब खत्म हो गया, आखिरकार हम आजाद हैं.'' दो महीने तक हिरासत में रहने के बाद नवंबर के महीने में कोर्ट ने सभी लोगों को जमानत दे दी थी. लेकिन पुतिन सरकार के क्षमा देने के बाद कार्यकर्ताओं का देश छोड़ पाना मुमकिन हो पाया है.

रूस की संघीय आप्रवासन सेवा ने कहा है कि शुक्रवार खत्म होते होते सभी 26 कार्यकर्ताओं को देश छोड़ने की इजाजत दे दी जाएगी. रूस छोड़ने की तैयारी कर रही डच नागरिक फैजा उलाहसन ने आर्टटिक में विरोध के लिए कोई खेद नहीं जताया. फैजा के मुताबिक आर्कटिक को बचाने के लिए वे और अधिक समर्पित हुई हैं. फैजा ने कहा, "मैंने दो महीने जेल में कुछ भी नहीं करने के लिए बिताए हैं. मैंने दो महीने उस चीज के लिए दिए हैं जिसपर मैं विश्वास करती हूं और जिसके लिए मैं खड़ी रहूंगी.''

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ग्रीनपीस के सभी सदस्यों को देश छोड़ने की इजाजततस्वीर: picture-alliance/dpa

इससे पहले रूस ने पुतिन विरोधी और एक दशक से जेल में बंद तेल कारोबारी मिखाएल खोदोरकोव्स्की को भी माफी दे दी. खोदोरकोव्स्की रिहा होते ही जर्मनी आ गए. जब तक दुनिया खोदोरकोव्स्की की रिहाई का मतलब समझ पाती तब तक रूस ने पूसी रायट बैंड की सदस्यों को रिहा कर दिया. समझा जा रहा है कि पुतिन सोची ओलंपिक के पहले अपनी छवि उदारवादी नेता के तौर स्थापित करना चाहते हैं.

इससे पहले जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने सोची ओलंपिक खेलों में न जाने की घोषणा की थी, हालांकि उन्हें इसे बहिष्कार की संज्ञा देने से मना कर दिया. लेकिन गाउक के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद और यूरोपीय संघ की कमिसार विवियन रेडिंग ने भी रूस में मानवाधिकारों की खराब हालत के मद्देनजर सोची न जाने की घोषणा की.

एए/एमजे (एएफपी)

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