गोल्फ जीटीआई के 40 साल
जब फोल्क्सवागेन ने गोल्फ का जीटीआई मॉडल 1976 में बाजार में उतारा तो ऑटोमोबाइल उद्योग हतप्रभ रह गया. स्पोर्टी मिनी कार न सिर्फ अत्यंत लोकप्रिय हुई बल्कि जल्द ही कारों की दुनिया का बड़ा नाम बन गई.
गोल्फ जीटीआई
जीटीआई मॉडल गोल्फ के सामान्य मॉडल से बहुत अलग नहीं दिखता. अंतर बोनट के नीचे हैं. इस छोटी कार को 110 हॉर्स पॉवर का मोटर ताकत देता है. 1976 में छोटी कारों के लिए ये रिकॉर्ड था. तेज एक्सेलेरेशन के कारण अक्सर ये कार स्पोर्ट्स कार पोर्शे के ड्राइवरों को भी चक्कर में डाल देती थी.
द गोल्फ
फोल्क्सवागेन ने अब मिथक बन चुके गोल्फ का पहला मॉडल 1974 में बाजार में उतारा. इस मॉडल के जरिये फोल्क्सवागेन अपनी आइकॉनिक कार बीटल की जगह गोल्फ को स्थापित करना चाहता था. यह बहुत ही किफायती कार थी. तेल संकट के जमाने में यह बहुत बड़ी बात थी. इसकी सफलता निर्माताओं के सपने से कहीं ज्यादा रही.
स्ट्रॉबेरी बास्केट
गोल्फ के कन्वर्टिबल एडिशन को जर्मन में लिटिल स्ट्राबेरी बास्केट (एर्डबेयरकॉर्बचेन) नाम दिया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी छतरी बंद होने के बाद यह बास्केट के हैंडल जैसी दिखती थी. यह मॉडल भी बहुत लोकप्रिय हुआ और गोल्फ की दूसरी कारों की तरह अपने प्रशंसकों की फौज बनाने में कामयाब रहा है.
अफसर की पोर्शे
एक समय आया जब जर्मन पुलिस और कस्टम भी गोल्फ ट्रेंड का हिस्सा बन गई. पुलिस और कस्टम विभाग ने अपने अधिकारियों के लिए साधारण दिखने वाला मॉडल ऑर्डर किया लेकिन फिर भी उसे अफसर की पोर्शे का नाम मिल गया. पुलिस अधिकारियों ने गोल्फ का इस्तेमाल कर उसे देश की सबसे लोकप्रिय कार बनाने में मदद दी.
स्पेशल एडिशन
हालांकि गोल्फ कार आम लोगों के लिए डेवलप की गई थी लेकिन फोल्क्सवागेन ने स्पोर्ट एडिशन सिरोक्को जैसे कीमती मॉडल भी बनाए. जीटीआई के 40वें जन्मदिवस पर फोल्क्सवागेन लिमिटेड एडिशन क्लबस्पोर्ट एस2 बाजार में उतार रही है. लेकिन पुराने मॉडल भी दक्षिण अफ्रीका और भारत में उतने ही हिट हैं.
इको फ्रेंडली मॉडल
अगर समय के साथ आगे ना बढ़े तो वो फोल्क्सवागेन ही क्या. वक्त का ही तकाजा था कि ऐसा इलेक्ट्रिक मॉडल लाया गया जो आधे घंटे में 80 प्रतिशत चार्ज होने वाली बैटरी लगी कार था. मॉडल ई-गोल्फ ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए उच्च मानक तय किए हैं. यह हाइब्रिड मोटर के साथ भी ऑफर पर है और मॉडल का नाम है जीटीई.
नए ही नहीं, पुराने का भी मोल
इस्तेमाल की जा चुकी गोल्फ कारों की रिसेल वैल्यू भी बहुत है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और पिछले पोप बेनेडिक्ट सोलहवें को इसका फायदा मिला है. उनकी पुरानी गोल्फ कारें नीलामी पर लगाई गईं. पोप की 1999 मॉडल के लिए 2005 में 190,000 यूरो मिले तो मैर्केल की 1990 की कार 2012 में 130,000 यूरो में बिकी.
जेनरेशन गोल्फ
गोल्फ ऑटोमोबिल इतिहास में सबसे ज्यादा बिकने वाली तीन कारों में शामिल है. यह बहुत सी पीढ़ियों में सबसे लोकप्रिय कार है. साल 2000 में प्रकाशित एक किताब में तो जर्मनी के जेनरेशन एक्स को जेनरेशन गोल्फ का नाम दिया था. किसी कार की इससे ज्यादा तारीफ और क्या हो सकती है.