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गोलियों से भूनकर दी गई मौत की सज़ा

१८ जून २०१०

अमेरिका में हत्या के एक दोषी को गोलियों से भून कर मौत की सजा दी गई. ऊटा दस्ते ने 49 साल के रोनी गार्डनर को गोलियों से मार डाला. गार्डनर अपने लिए ऐसी ही सजा चाहता था.

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रोनी ली गार्डनरतस्वीर: AP

49 साल के रोनी ली गार्डनर को स्थानीय समय के हिसाब से 12 बजे मृत घोषित कर दिया गया. ऊटा की जेल में शुक्रवार को गार्डनर को गोली मार कर मौत की सज़ा दी गई. गार्डनर ने 1985 में कोर्ट से भागने की कोशिश करते हुए वकील माइकल ब्रुडेल की गोली मार कर हत्या कर दी थी. उस अदालत में गार्डनर पर 1984 के एक हत्या के मामले में सुनवाई चल रही थी. जिसके बाद उसे मौत की सज़ा सुनाई गई. रोनी गार्डनर ने अपने लिए सज़ा का यही तरीका तय किया कि उसे गोली मार कर ही मौत की सज़ा दी जाए. अब इस तरह से मौत की सज़ा दिए जाने पर प्रतिबंध है. अमेरिका में अब आत तौर पर ज़हरीला इंजक्शन दे कर मृत्युदंड दिया जाता है.

Angehörige von Ronnie Lee Gardner
रोनी की बेटी ब्रैंडी गार्डनर, और भाई रैंडी गार्डनरतस्वीर: AP

सॉल्ट लेक सिटी के ड्रैपर की ऊटा जेल में ये सज़ा दी गई. गार्डनर को एक काली धातु की कुर्सी पर पट्टों से बांध दिया गया और उसकी छाती पर निशाना लगाया गया. पांच पुलिसकर्मियों ने राइफलों से गार्डनर पर निशाना लगाया. पांच में से एक राइफल खाली रखी गई थी ताकि गोलियां चलाने वालों को पता न हो कि किसकी राइफल की गोली दोषी को लगी है.

मृत्युदंड के पहले गार्डनर ने मंगलवार को टिक्का, एपल पाई और वैनिला आइसक्रीम खाया. इसके बाद गार्डनर ने मृत्युदंड दिए जाने तक उपवास रखने का फैसला किया. अपना अंतिम समय लॉर्ड ऑफ द रिंग्स देखने और वकीलों के मिलने में बिताया.

जेल के बाहर गार्डनर के रिश्तेदार मौजूद थे. कुछ लोगों ने गार्डनर के कैदी नंबर 14873 वाली शर्ट भी पहन रखी थी. लेकिन मृत्युदंड दिए जाने के समय वहां कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं था.

हालांकि गुरुवार को गार्डनर ने मौत की सज़ा को थोड़ी देर रोकने के लिए अपील की थी. लेकिन अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट और ऊटा के गवर्नर गैरी हैरबर्ट ने इस अपील को ठुकरा दिया. हैरबर्ट का कहना था कि अदालत में गार्डनर के पास फैसला करने के लिए काफी समय था.

अमेरिका में पिछले 34 साल में गोली मार कर मृत्युदंड देने की यह सिर्फ तीसरी घटना है. ऊटा में 2004 के बाद इस सजा पर रोक लगा दी गई है लेकिन गार्डनर ने अपने लिए यह सजा उससे पहले ही तय कर ली थी.

रिपोर्टः एजेंसियां आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल