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गॉल पर चला मुरली का मैजिक

संदीपसिंह सिसोदिया, वेबदुनिया (संपादनः ए जमाल)२२ जुलाई २०१०

आखिर वह क्षण आ ही गया जिसका दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी इंतजार कर रहे थे. मुरली ने ‍एक टिपिकल ऑफ स्पिन गेंद डाली जो लेफ्ट हैंड बल्लेबाज प्रज्ञान ओझा के बल्ले को चूमती हुई स्लिप में खड़े जयवर्धने के हाथों में समा गई.

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मुरली का जवाब नहींतस्वीर: AP

इतिहास बन गया. क्या शानदार विदाई रही इस खिलाड़ी की जिसने अपने टेस्ट ‍करियर की आखिरी बॉल पर भी विकेट लिया.

मुरली दुनिया के पहले ऐसे गेंदबाज बन गए जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 800 बल्लेबाजों को पैवेलियन की राह दिखाई. गॉल में टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में मुथैया मुरलीधरन का नाम एक ऐसा रिकॉर्ड हमेशा के लिए दर्ज हो गया है जिसे तोड़ने में शायद कई बरस लगेंगे.
भारत और श्रीलंका के बीच खेले जा रहे इस टेस्ट को इसके नतीजे नहीं बल्कि श्रीलंका के खतरनाक स्पिनर मुरली के महान कारनामे के लिए जाना जाएगा.

Virender Sehwag
सहवाग का नाकाम शतकतस्वीर: AP

लगातार चोटों, बढ़ती उम्र और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते मुरली ने अपने पहले प्यार को अलविदा करने का मन बना लिया. स्पिन के जादूगर ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का क्या खूब समय चुना.

38 साल के मुरली चाहते तो टेस्ट क्रिकेट में अलविदा लेने के लिए 1000 विकेट का लक्ष्य रख सकते थे या 800 विकेट पूरे करने के बाद कहते कि बस अब बहुत हो गया. परंतु अपने स्वभाव के अनुरूप इस जुझारू स्पिनर ने हमेशा की तरह अपने आपको चुनौती दी और इस टेस्ट में ही अपना 800 विकेट पूरे करने का लक्ष्य बनाया.

बरसात से टेस्ट धुलने का डर और सामने भारत जैसी मजबूत टीम भी मुरली के इरादे को बदल नहीं सकी. वैसे भी मुरली कभी भी रिकॉर्ड के पीछे नहीं भागे. रिकॉर्ड खुद उनका पीछा करते रहे.

इस टेस्ट से पहले 792 विकेट ले चुके मुरली ने अपने आखरी टेस्ट को पूरी तरह रोमांचकारी बनाते हुए पहली पारी में 5 विकेट ले डाले और आखरी पारी में तीन और विकेट ले कर एक ऐसा कारनामा कर डाला जिसकी चर्चा लंबे समय तक होगी.

799 विकेट लेने के बाद मुरली की हर गेंद पर मैदान पर मौजूद सारे कैमरे इस उम्मीद में चमकने लगते की 800 विकेट के ऐतिहासिक क्षण को कैमरे में कैद कर सकें. मुरली के संन्यास के साथ ही कई बल्लेबाजों अब चैन की नींद सो सकते हैं जो मुरली की फिरकी से आतंकित थे.

मुरली गेंदबाजी करते समय बेहद खतरनाक नजर आते हैं. अपील करते समय उनके मुख मुद्रा बेहद आक्रामक नजर आती है. लेकिन निजी जीवन में वे बेहद सरल इंसान हैं. क्रिकेट को छोड़ अन्य गतिविधियों में उनकी कभी रुचि नहीं रही और कभी भी विवादों से उनका नाम नहीं जुड़ा.

जब उन पर ‘चकर' होने का आरोप लगा तो उन्होंने कभी अशिष्ट भाषा का इस्तेमाल नहीं किया और आरोपों की कालिख से भी वे साफ बच निकले. उन्होंने साबित किया कि उनका एक्शन सही है.

मुरली को गेंदबाजी करते देखना हमेशा सुखद रहा. सपाट पिचों पर भी वे गेंद को इस कदर टर्न कराते कि बल्लेबाज की जान निकल जाती. वे कभी स्पिनर्स के लिए बनाए गए पिचों के मोहताज नहीं रहे. अपनी प्रतिभा और कला के दम पर ही उन्होंने विकेट चटकाए. उनकी एक्शन देख यह पूर्वानुमान लगाना कठिन होता था कि वे कौन सी गेंद फेंक रहे हैं.

एक ही एक्शन से वे कई तरह की गेंद फेंकते थे. बल्लेबाजों को अपने स्पिन के जाल में फंसाने के लिए वे फ्लाइट देने से भी कभी नहीं घबराए. उनकी गेंदों पर रन बनाना कभी भी आसान नहीं रहा. कई बार एकदिवसीय क्रिकेट में भी देखा गया कि मुरली के सामने बल्लेबाज का पहला लक्ष्य अपने आपको सुरक्षित रखना होता था. रन बनाना तो दूर की बात है.

मुरली को खुद पर हमेशा से इतना विश्वास रहा है कि उन्होने बड़े से बड़े मैच में भी अपने दम पर श्रीलंका को कई बार जिताया. कई टेस्ट मुरली बनाम सामने वाली टीम के बीच खेला गया. श्रीलंका मुरली की कमी महसूस करेगा और उनकी जगह भर पाना फिलहाल तो नामुमकिन है.

मुरली ने 800 विकेट लेकर दुनिया भर के गेंदबाजों के सामने चुनौती पेश की है कि वे इसे पार करें. मुरली जैसे खिलाड़ी ने साबित कर दिया कि आने वाले समय में 1000 विकेट आंकड़ा भी छूना संभव है.