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गुलाबी हुआ जापान

७ अप्रैल २०१४

जापान में वसंत लाता है सुंदर गुलाबी सफेद चेरी ब्लॉसम फूलों का मौसम. लंबी सड़कों के किनारे ये पेड़ गुलाबी और सफेद फूलों से लद जाते हैं.

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तस्वीर: AP

लेकिन इसी के साथ चेहरे पर मास्क लगाने का मौसम भी शुरू हो जाता है क्योंकि कड़ाके की ठंड के बाद वसंत में ढेर सारे पराग काफी तेजी से हवा में फैलते हैं और सबको छींकने पर मजबूर कर देते हैं. इतना ही नहीं, इसकी एलर्जी के शिकार लोगों की नाक बंद हो जाती है और आंखें लाल हो कर बहने लगती हैं.

कई के लिए बहती नाक और छींकें बड़ी परेशानी बन जाती हैं और कुछ के लिए इतनी परेशानी खड़ी हो जाती है कि उन्हें अस्थमा स्प्रे इस्तेमाल करना पड़ता है और इस समय के लिए या तो खास इंजेक्शन लेना पड़ता है या फिर एंटी एलर्जी दवाइयों से काम चलाना पड़ता है.

एक सर्वे के मुताबिक जापान की करीब 13 करोड़ जनसंख्या में हर चौथे आदमी को काफून शू यानि हे फीवर हो जाता है. हे फीवर यानि पराग कणों से एलर्जी. दवाई की दुकानों में सर्जिकल मास्क मिलते हैं साथ ही चश्मे और टिशू भी दिए जाते हैं.

वहीं काफून शू के इस मौसम में एयर प्यूरिफायर, बिस्तर साफ करने वाले, पराग सोख लेने वाले स्प्रे मिलने लगते हैं. इतना ही नहीं, ऐसे कोट भी मिलने लगते हैं जो पराग कणों को दूर भगाते हैं.

पराग को भगाने के लिए इस साल बाजार में काफून ब्लॉकर खूब चल रहा है. कंपनी का दावा है कि ये 99.99 फीसदी पराग सोख लेता है. ये हवा सोखता है और इसके ऊपर एक फिल्टर भी लगा होता है.

इस सुंदर रोमांटिक मौसम में टीवी पर कहां पराग की मात्रा कितनी ज्यादा होगी ये भी मौसम अनुमान में दिखाया जाता है.

हालांकि चेरी के ये फूल पराग के मामले में बहुत ही नाजुक हैं लेकिन बर्च या रैगवीड के पराग बहुत ही आक्रामक होते हैं. मार्च और अप्रैल में जापानी चीड़ के पराग से लोगों को भारी एलर्जी होती है.

रोमांटिक फूलों का मजा लेना उन लोगों के लिए परेशानी बन जाता है जिन्हें हाथ में रुमाल ले एक के बाद एक कई छींकों से दो चार होना पड़ता है.

रिपोर्टः आभा मोंढे (एएफपी)

संपादनः ए जमाल