प्रदूषित हवा से बचाने वाली रंगीन चेतावनी
७ जुलाई २०१७वायु प्रदूषण के गंभीर नतीजों के चलते गुजरात के अहमदाबाद में देश का पहला एयर मॉनीटरिंग एंड वार्निंग सिस्टम लगने जा रहा है. यह सिस्टम हवा में घुलते जहर के बारे में लोगों चेतावनी देगा. प्रशासन को उम्मीद है कि रंगीन हवा के रूप में दिख रही चेतावनी लोगों इसके बारे में जागरूक बनाएगी.
दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा वाले दस में से चार शहर भारत में ही हैं. वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में होने वाली आधी से ज्यादा मौतें केवल भारत और चीन में ही होती हैं. फेफड़ों के कैंसर, स्ट्रोक, दिल की बीमारियों और प्रदूषण के कारण पड़ने वाले दिल के दौरों से बहुत से लोगों की असमय मौत हो रही है.
भारत के सबसे प्रदूषित शहरों में अहमदाबाद का भी नंबर है. मई 2017 में शुरु हुए 'एयर इन्फॉर्मेशन एंड रिस्पॉन्स' (एआईआर) के अंतर्गत एक एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया जाना है, जो शहर में अलग अलग जगहों से रोज की हवा का विश्लेषण करेगा. शहर में बड़ी बड़ी एलईडी स्क्रीन लगायी जाएंगी, जहां प्रदूषण के स्तर को पांच रंगों के रूप में दिखाया जाएगा और साथ ही उसके असर के बारे में भी जानकारी होगी. इस पूर्व चेतावनी सिस्टम में लोगों को आने वाले दिनों में शहर में वायु प्रदूषण के स्तर के बारे में भी बताया जाएगा. हवा के प्रति घन मीटर हिस्से में 2.5 माइक्रोग्राम से हल्के जितने ज्यादा कण शामिल होते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन उसे उतना ही ज्यादा प्रदूषित मानता है.
अहमदाबाद नगर निगम के चिराग शाह बताते हैं, "वायु प्रदूषण एक बड़ा खतरा है, और जब तक हमारे पास आंकड़े नहीं होंगे तब तक हम इसे नियंत्रित करने और इसके असर को कम करने के रास्ते नहीं निकाल सकेंगे." आंकड़ों के इस्तेमाल को लेकर शाह आगे कहते हैं कि "अगर इकट्ठा किया गया डाटा ऑफिस में ही रह जाए और इस्तेमाल ना हो, तो उसका भी क्या फायदा है?"
अहमदाबाद जैसे शहर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण डीजल गाड़ियां, निर्माण कार्य, चूल्हे की आग और कूड़ा जलाना है. इन वजहों से हर साल खासकर नवंबर से जनवरी के ठंडे महीनों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है. इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण इंडेक्स लगा है, लेकिन इससे जुड़ा चेतावनी का सिस्टम केवल अहमदाबाद में ही है. इसके पहले 'हीट एक्शन प्लान' और अब 'एआईआर' योजना में योगदान देने वाले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रमुख दिलीप मावलंकर प्रदूषण के बारे में कहते हैं कि "हमें इसे मापने और फिर इसके खिलाफ कदम उठाने में निवेश करना ही होगा, वरना हम इससे लड़ नहीं सकेंगे.. और इसके लिए सरकार, गैर लाभकारी संस्थाओं और विशेषज्ञों को साथ मिलकर प्रयास करना होगा." विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वायु प्रदूषण हर साल विश्व के करीब 70 लाख लोगों की असमय जान ले रहा है, जिसमें से लगभग 30 लाख लोग सार्वजनिक जगहों पर मौजूद गंदी हवा के कारण मारे जा रहे हैं.
आरपी/एनआर (रॉयटर्स)