गुजरात पहुंचा घातक कांगो बुखार, तीन की मौत
१९ जनवरी २०११क्रिमीयन कांगो हैमरेजिक फ़ीवर नामकी बीमारी वायरस अफ्रीका, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप में पाया जाता है. लेकिन यह पहला मौका है जब भारत में यह घातक बीमारी सामने आई है. अहमदाबाद के पास साणंद में एक महिला को कांगो बुखार चढ़ा. इसके बाद मरीज और उसका इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्स की मौत हो गई.
गुजरात स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक परेश दवे कहते हैं, ''महिला को जनवरी के पहले हफ्ते में तेज बुखार और उल्टी की शिकायत के बाद निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कुछ दिनों तक अस्पताल बीमारी को पकड़ ही नहीं सका और महिला की मौत हो गई.''
महिला का इलाज कर रहे 30 साल के डॉक्टर की भी पिछले हफ्ते मौत हो गई. नर्स ने मंगवार को दम तोड़ा. इसके बाद सैंपल नेशल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी पुणे भेजे गए. जहा पुष्टि हुई कि यह बीमारी घातक कांगो फीवर है. नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक डॉक्टर ने बताया कि भारत में कांगो बुखार से पहली बार मौत हुई है.
वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों का एक दल गुजरात भेजा गया है जो इस बीमारी के वायरस की छानबीन करेगा. कांगो बुखार के वायरस जानवरों से भी इंसानों के बीच पहुंच जाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इंसानों में इस बीमारी से मौत का खतरा 30 फीसदी रहता है. जिस गांव में इस बीमारी का पहला मरीज रहता था वहां डॉक्टरों की एक टीम कड़ी निगरानी रख रही है पर अभी तक किसी और मरीज में इस बीमारी का वायरस होने की पुष्टि नहीं हुई है.
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री जयनारायण व्यास ने पत्रकारों से कहा,"हमने एक टीम बना दी है जो कांगो बुखार को फैलने से रोकने और उसके इलाज के लिए विस्तार से योजना बनाकर काम कर रही है." उन्होंने ये भी कहा कि सभी अस्पतालों को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कांगो बुखार ज्यादातर उन लोगों में फैलता है जो जानवरों के ज्यादा संपर्क में रहते हैं. खासतौर से बूचड़खानों और जानवरों के अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों तक इस बीमारी के वायरस आसानी से पहुंचते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ओ सिंह
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य