गुजरात दंगों में आपराधिक साजिश नहीं: हाईकोर्ट
५ अक्टूबर २०१७गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया जाफरी की 2002 गुजरात दंगो की वो याचिका खारिज कर दी है, जिसमें, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 57 लोगों के खिलाफ बड़ी साजिश के लिये छानबीन और कार्रवाई अपील की गयी थी. जाफरी और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस की तरफ से लगाई गयी इस याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुये कहा कि दंगों में कोई आपराधिक साजिश नहीं थी.
याचिका में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी के सामने इस याचिका पर सुनवाई इस साल 3 जुलाई को पूरी हुई थी.
28 फरवरी, 2002 को गुजरात के गुलबर्ग सोसायटी में भीड़ ने करीब 68 लोगों की हत्या कर दी थी.
कौन हैं जाकिया जाफरी?
2002 गुजरात दंगों के दौरान भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी को घेरकर उसमें आग लगा दी थी. इसमें कांग्रेस के 73 वर्षीय कांग्रेस एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की मौत हो गयी थी. आग इतनी भयानक थी कि गुलबर्ग सोसायटी के घर से एहसान जाफरी का शव भी बरामद नहीं हो पाया था. जाकिया जाफरी अहसान जाफरी की पत्नी हैं और उन्होंने इस पूरे मामले में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है.
क्या है गुलबर्ग सोसाइटी केस?
27 फरवरी 2002 में गोधरा कांड के बाद भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी में आग लगा दी थी, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों की जान चली गई थी.
अहमदाबाद शहर में हुए दंगे के बाद दंगाइयों ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला बोल दिया था, जहां कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी अपने परिवार के साथ रहा करते थे. यहां दंगे और आगजनी के बाद 39 लोगों के तो शव मिले भी, लेकिन बाकी 30 के शव तक नहीं मिले. इन्हें सात साल बाद कानूनी परिभाषा के तहत मरा हुआ मान लिया गया.
2016 में 11 को उम्रकैद
गुलबर्ग सोसाइटी केस में विशेष एसआईटी कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद और 12 अन्य को सात साल की जेल की सजा सुनाई थी.