70 साल के हुए जावेद अख्तर
१७ जनवरी २०१५फिल्मकार यश चोपड़ा 1981 में अपनी नई फिल्म सिलसिला के लिए गीतकार की तलाश कर रहे थे. उन दिनों जावेद अख्तर फिल्म इंडस्ट्री में बतौर संवाद लेखक अपनी पहचान बना चुके थे. यश चोपड़ा ने उन्हें सिलसिला के लिए गीत लिखने की पेशकश की और उनका गीत "देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए" और "ये कहां आ गये हम" हर जुबां पर छा गया. इस सफलता से उत्साहित जावेद अख्तर ने गीतकार के रूप में भी काम करना शुरू किया.
जावेद का जन्म 17 जनवरी 1945 को शायर-गीतकार जां निसार अख्तर के घर हुआ. बचपन से ही शायरी से जावेद अख्तर का गहरा रिश्ता था. उनके घर शेरो-शायरी की महफिलें सजा करती थी जिन्हें वह बड़े चाव से सुना करते थे. जावेद अख्तर ने जिंदगी के उतार-चढ़ाव को बहुत करीब से देखा था, इसलिए उनकी शायरी में जिंदगी के फसाने को बड़ी शिद्दत से महसूस किया जा सकता है.
लखनऊ में शुरुआती पढ़ाई के बाद जावेद अख्तर ने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पूरी की. भोपाल के साफिया कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद वह अपने सपनों को नया रूप देने के लिए 1964 मे मुंबई आ गए. कुछ दिनों तक वह महज 100 रूपये के वेतन पर फिल्मों में डॉयलाग लिखने का काम करने लगे. इस दौरान उन्होंने कई फिल्मों के लिए डॉयलाग लिखे. लेकिन इनमें से कोई फिल्म बॉक्स आफिस पर सफल नहीं हुई.
फिर उनकी मुलाकात सलीम खान से हुई जो फिल्म इंडस्ट्री में बतौर संवाद लेखक अपनी पहचान बनाना चाह रहे थे. दोनों मिलकर काम करने लगे. 1970 में प्रदर्शित फिल्म अंदाज की कामयाबी के बाद जावेद अख्तर कुछ हद तक बतौर डॉयलाग रायटर फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए. इसके बाद सलीम जावेद की जोड़ी को अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने लगे. इनमें हाथी मेरे साथी, सीता और गीता, जंजीर, यादों की बारात जैसी फिल्में शामिल हैं.
सीता और गीता के निर्माण के दौरान उनकी मुलाकात अभिनेत्री हनी ईरानी से हुयी और जल्द ही जावेद अख्तर ने हनी ईरानी से निकाह कर लिया. अस्सी के दशक में जावेद अख्तर ने हनी ईरानी से तलाक लेने के बाद शबाना आजमी से शादी कर ली.
1987 में प्रदर्शित फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गई. इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा. जावेद अख्तर को मिले सम्मानों को देखा जाए तो उन्हें उनके गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया. 2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया.
एमजे/आईबी (वार्ता)