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गिराया जाएगा शूमाकर का गांव

४ सितम्बर २०१३

जर्मनी के राइनलैंड इलाके का गांव मानहाइम जल्दी गिरा दिया जाएगा क्योंकि इसके नीचे कीमती भूरा कोयला दबा है.

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तस्वीर: DW/K. Jäger

इसे रोकने के लिए पूरे यूरोप से 700 पर्यावरण संरक्षक यहां इकट्ठा हुए हैं और भविष्य पर चर्चा कर रहे हैं. 92 साल के फ्रांत्स कोएनलाइन मिषाएल शूमाकर की कैप पहने कैरपेन मानहाइम के रंगीन टेंटों के बीच मैदान में बैठे हैं. कैरपेन मानहाइम फॉर्मूला वन के शानदार ड्राइवर रहे मिषाएल शूमाकर का गांव है. वो यहां बड़े हुए, लेकिन अब यहां झांकने भी नहीं आते. गांव के बाकी बचे लोगों में फ्रांत्स कोएनलाइन भी हैं जो अब अपना घर बार छोड़ने को मजबूर हैं.
पश्चिमी जर्मनी के इस इलाके में बिजली बनाने वाली कंपनी आरडबल्यूई के खिलाफ विरोध करने के लिए पूरे यूरोप से 700 युवा पहुंचे हैं. वे उस राजनीति के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है.

आरडबल्यूई मानहाइम में भूरे कोयले का खनन कर रही है, जिससे बिजली बनाई जाती है. राजनीतिज्ञ इसके लिए गांव को तोड़ने की योजना का समर्थन इस दलील के साथ कर रहे हैं कि भूरा कोयला बिजली बनाने के लिए जरूरी है, क्योंकि ऐसा होने के बाद ही परमाणु बिजली घरों को बंद किया जा सकेगा.

Klimacamp Kerpen-Manheim
92 साल के फ्रांत्स कोएनलाइन, कैरपेन मानहाइम के सबसे बुजुर्ग व्यक्तितस्वीर: DW/K. Jäger

बयानवे की उम्र में

फ्रांत्स कोएनलाइन भूरे कोयले की खुदाई से सीधे प्रभावित हो रहे हैं. इस उम्र में उन्हें अपना घर बदलना है, क्योंकि आरडबल्यूई उनके गांव के नीचे खुदाई करेगी. अब कोएनलाइन कहां रहेंगे ये उन्हें पता नहीं. उनकी पत्नी का शव दूसरे कब्रिस्तान में भेज दिया गया है. भारी आवाज में कंधे उचकाते हुए कोएनलाइन कहते हैं, "मैं क्या करूं?"

घर बदलने को मजबूर कोएनलाइन को इसके लिए पैसे दिए गए हैं. लेकिन वो समझ नहीं पा रहे कि वे इस पैसे का करें क्या. वे बताते हैं, "मेरा घर खो गया है. आरडबल्यूई के आकाओं और सरकार के खिलाफ हमने आवाज नहीं उठाई. आरडबल्यूई जो कर रहा है, वह मानवता के खिलाफ अपराध है. अब युवा यहां पहुंचे तो हैं लेकिन 20 साल देर से."

विरोध में देरी

कोएनलाइन अपने गांव में अब खुदाई रोक नहीं सकते. लेकिन क्लाइमेट कैंप में भाग लेने वालों के हिसाब से अभी भी देर नहीं हुई है. वे पुलिस से नहीं दबते और सफेद वैगन चलाने वाले लोगों से भी उन्हें डर नहीं लगता. इस वैगन में आने वाले लोग आरडबल्यूई के फोटोग्राफर हैं, जो टेंटों में रह रहे प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें लेते हैं.
सर्बिया की तान्या कहती हैं कि आरडबल्यूई जैसी कंपनियां हर देश में होती हैं और पर्यावरण और वैकल्पिक ऊर्जा की भी. तान्या एनवायरमेंट साइंस पढ़ रही हैं, क्योंकि वह प्रकृति से बहुत प्यार करती हैं और पर्यावरण संरक्षण और कचरे की समस्या के लिए काम करना चाहती हैं. उनके अपने देश में पर्यावरण के प्रति जागरूकता अभी कम है. मानहाइम में वह सीखना चाहती हैं कि कैसे इस तरह के कैंप आयोजित किए जा सकते हैं.

कैंप में रहने वाले गर्म होती धरती के प्रति लोगों का ध्यान दिलाना चाहते हैं. फ्रांस के नाँट शहर के आँरी कहते हैं कि पर्यावरण के लिए लोगों को काफी जानकारी और अनुभव है कि वह वैकल्पिक व्यवस्था ढूंढें और इसके लिए संयुक्त रूप से काम करें. वे यह भी कहते हैं कि प्राकृतिक आपदाएं उद्योगों के कारण आती हैं क्योंकि वे सिर्फ लाभ पर चलती हैं. नाँट में उन्होंने ऐसी जगह पर धरना दिया था जहां यूरोप का बड़ा हवाई अड्डा बनना था. कैंप में वह दूसरे लोगों से बातचीत करके पता करना चाहते हैं कि किस तरह के विरोध प्रदर्शनों की अनुमति है.

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पूरा गांव उखाड़ दिया जाएगातस्वीर: DW/K. Jäger

बिना फ्रिज के

शिविरों में कई देशों के लोग हैं. 40 साल के थोमस श्टुटगार्ट से आए हैं और अपने अनुभव बांटना चाहते हैं कि कैसे बिना फ्रिज और नल के पानी के रहा जा सकता है. गर्मियों में वह खाने पीने की चीजें ठंडी जमीन में एक गड्ढे में रखते हैं. सेबास्टियान इलेक्ट्रोटेक्निक की पढ़ाई कर रहे हैं, वे ऐसी रिसर्चों के बारे में बताते हैं, जिनके मुताबिक अगले 20 साल में दुनिया वैकल्पिक ऊर्जा पर चलेगी. उन्हें लगता है कि अर्थव्यवस्था हमेशा आगे नहीं बढ़ सकती लेकिन अर्थव्यवस्था को ऐसी सोच चाहिए जिससे लोगों को हमेशा जिंदा रहने के लिए जरूरी सामान उपलब्ध रहे.

आंद्रेयास पर्यावरण मनोचिकित्सा की पढ़ाई करना चाहते हैं. वे लोगों को ऊर्जा के मुद्दे पर जागरूक बनाना चाहते हैं. एक साल पहले अचानक उन्होंने पहली बार भूरे कोयले की खदान देखी. वे बताते हैं, "कोयला पाने के लिए लोग जिस तरह गुस्से से खुदाई करते हैं, वो देखकर मैं तो हिल गया था." वो चित्र उनके दिमाग से हटे नहीं. तब से वह यूनिवर्सिटियों में इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं, समझा रहे हैं. पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु सुरक्षा पर लेक्चर दे रहे हैं और फिल्में दिखा रहे हैं.

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विरोध प्रदर्शनतस्वीर: DW/K. Jäger

इस बीच मानहाइम के क्लाइमेट कैंप में पर्यावरण संरक्षक तीसरी बार मिल रहे हैं. ये मुलाकात करवाने वाली डोरोथी हॉयसरमन पहली बार शामिल हुई हैं. "मैं कभी राजनीति में सक्रिय नहीं रही. लेकिन किसी मोड़ पर मैंने भी ये शुरू किया. जलवायु परिवर्तन पर मुझे चिंता होनी शुरू हुई. मुझे लगा कि इस बारे में सिर्फ पढ़ने और बिजली बचाने से कुछ नहीं होगा." वो कहती हैं कि कैरपेन मानहाइम के आस पास जमीन खोदने का असर साफ दिखाई देता है और अब यही काम वो यहां करना चाहते हैं.

डोरोथी हॉयसरमन खुश होते हुए बताती हैं, "हमारी संख्या बढ़ रही है. हमने यूरोपीय नेटवर्क बनाया है और अब इस कैंप को यूरोपीय संघ के एनवायरमेंटल यूथ इनिशिएटिव का समर्थन भी है. हालांकि वो ये भी कहती हैं कि कई लोग अकेले भी विरोध प्रदर्शन करते हैं. लेकिन हम नहीं चाहते कि हमारी पहचान अव्यवस्था से हो. हम कोई शोर या दंगा नहीं करना चाहते, शांति से प्रदर्शन करना चाहते हैं. लेकिन ऐसा अभियान भी चलाएंगे जो आरडबल्यूई और पुलिस के लिए अप्रिय होगा. अब एक ग्रुप चाहता है कि वह पास में खुदाई वाला इलाका देखें, ताकि उन्हें समझ में तो आए कि किसके खिलाफ वो प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले साल 80 प्रदर्शनकारी उन पटरियों पर जा कर लेट गए जहां से कोयला भेजा जाता है. वे नई जगहों को देखना चाहते हैं ताकि पटरियों पर धरना देकर अपनी मांगों के लिए लोगों का ध्यान खींच सकें.

रिपोर्टः कारीन येगर/एएम

संपादनः महेश झा

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