गिरफ्तारी से कराची में तनाव
४ जून २०१४ब्रिटिश पुलिस का कहना है कि उत्तरपश्चिम लंदन में एक पते से 60 साल के व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. इस इमारत की तलाशी ली जा रही है.
हुसैन ने 1992 में पाकिस्तान छोड़ दिया था. उस वक्त वहां सेना की कार्रवाई चल रही थी. उसके बाद वह ब्रिटेन चले गए और 2002 में उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली. वह मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) नाम की पार्टी के प्रमुख और संस्थापक हैं, जिसका कराची में खासा प्रभाव है. कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है.
कराची में जैसे ही स्थानीय टेलीविजन पर इस गिरफ्तारी की सूचना जारी हुई, करीब पौने दो करोड़ की आबादी वाले शहर में हलचल मच गई. अधिकारियों ने बताया कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने दर्जन भर गाड़ियों को फूंक दिया.
इसके बाद लोगों को इस बात की भी चिंता होने लगी कि शहर बंद हो सकता है और इस वजह से उन्होंने राशन पानी जमा करना शुरू कर दिया. एक भीड़ भाड़ वाली दुकान में सामान खरीदने आई 45 साल की रजिया बेगम का कहना है, "हमें नहीं पता कि कब तक दुकानें बंद रहेंगी. मैं जितना हो सकता है, उतना राशन जमा करना चाहती हूं."
पाकिस्तान रेल के एक प्रवक्ता ने बताया कि कराची से चलने वाली सभी ट्रेनों को फिलहाल रोक दिया गया है. एमक्यूएम के संसदीय नेता ने इस बीच लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. डॉक्टर फारूक सत्तार ने कहा, "हमें शांत रहने की जरूरत है. हमें किसी भी हालत में धैर्य नहीं खोना चाहिए. लोगों को वहां हो रही गतिविधियों के बारे में पता होना चाहिए, उन्हें एकता के साथ रहना चाहिए."
उन्होंने कहा, "हमें अल्ताफ हुसैन के बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए. हमें उनकी सेहत के लिए दुआ करनी चाहिए. हमें कहना चाहिए कि उन्हें दवा पानी मिलता रहना चाहिए."
ब्रिटिश अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल उन्होंने अस्थायी तौर पर कराची में अपना वाणिज्य दूतावास बंद कर दिया है. कराची के पुलिस प्रमुख गुलाम कादिर थेबो ने बताया, "हमने कंसुलेट के आस पास सुरक्षा कड़ी कर दी है, खास तौर पर ब्रिटिश कंसुलेट के पास."
कराची पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी है लेकिन वहां जातीय भेदभाव की वजह से आए दिन हिंसा होती रहती है. एमक्यूएम की स्थापना भारत से पाकिस्तान गए लोगों की सुरक्षा और हितों को ध्यान में रख कर की गई थी. इससे पहले 2012 और 2013 में भी हुसैन के लंदन वाले घर पर छापा मारा जा चुका है.
इसके अलावा 2010 में लंदन में इमरान फारूक की हत्या कर दी गई थी, जो एमक्यूएम के प्रमुख सदस्य थे. इसमें किसी "अंदर के व्यक्ति" का हाथ बताया गया था.
एजेए/ओएसजे (एएफपी)