गायब हो सकते हैं दुनिया से 20 फीसदी पौधे
२९ सितम्बर २०१०लंदन में रॉयल बॉटेनिक गार्डन्स के निदेशक स्टीफन हूपर ने बताया कि पृथ्वी पर करीब 3 लाख 80 हजार पौधों की प्रजातियां हैं. इनमें से कई के लुप्त होने की आशंका पर हुए इस अध्ययन से सटीक तस्वीर उभरती है. "यह स्टडी हमें वही बताती है जिसका हमें पहले से ही संदेह था. यानी पौधों पर खतरा बढ़ रहा है और इसका प्रमुख कारण मानव गतिविधियां हैं." फसल बोने में या मवेशियों के लिए जगह का प्रबंध करने में आदमी अपनी मनमर्जी चला रहा है जिससे प्राकृतिक रूप से पौधे नहीं उग पा रहे हैं.
हूपर ने कहा पौधों को लुप्त होने से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है और यह अध्ययन भविष्य में संरक्षण प्रयासों के लिए मददगार साबित होगा. "हम आराम से बैठकर पौधों की प्रजातियों को लुप्त होते नहीं देख सकते. पौधे पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं जिनसे हमें हवा, पानी, भोजन और ईंधन मिलता है. जानवरों और पक्षियों का जीवन तो उन पर निर्भर करता ही है, मनुष्य भी उन पर निर्भर हैं."
पौधों की प्रजातियों के लुप्त होने का सबसे बड़ा कारण मानव गतिविधियों को बताया गया है. फसल बोने के लिए लोग प्राकृतिक रूप से पौधों को पनपने का मौका नहीं देते जिसकी वजह से पौधों के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है. इस अध्ययन में करीब 4,000 प्रजातियों का अध्ययन किया गया जिसमें से 22 फीसदी के लुप्त होने का खतरा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक पक्षियों से ज्यादा खतरा पौधों को है.
जापान के नागोया शहर में 18 अक्तूबर से 29 अक्तूबर तक बायोडाइवर्सिटी कन्वेंशन होनी है जिसमें लुप्त होने के कगार पर पहुंचे जीव जंतुओं को बचाने के लिए नए लक्ष्य तय किए जाएंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल