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गाने जो पढ़ाते हैं विज्ञान

Brigitte Osterath२१ मार्च २०१४

पीरियॉडिक टेबल या पहाड़ों के मुकाबले अगर गाने आसानी से याद हो जाते हैं तो क्यों न गानों के जरिए ही बच्चों को विज्ञान सिखाया जाए. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के म्यूजिक वीडियो में दम तो है लेकिन कुछ खतरे भी हैं.

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तस्वीर: Fotolia/PinkShot

अमेरिकी म्यूजिक बैंड 'दे माइट बी जाएंट्स' के एक गाने के बोल कुछ यूं हैं कि गुब्बारे में भरा होता है हीलियम और सितारे हाइड्रोजन से भरे होते हैं, यही हाइड्रेजन जल्द आपकी कार में ईंधन का काम करेगी. इनके एक गाने में पूरी पीरियॉडिक टेबल का वर्णन मिलता है. इसी तरह ब्रिटिश रैपर 'फैटब्वॉय स्लिम' के 'एवोल्यूशन' गीत में इंसान के वानर से संपूर्ण मनुष्य के रूप में विकास का जिक्र है. यूट्यूब और वीमियो जैसे मंच पर इस तरह के तमाम वीडियो मौजूद हैं जो विज्ञान को आसान बना कर पेश कर रहे हैं और इनकी लत लगना बहुत आसान है.

पढ़ाने में इस्तेमाल

समाजशास्त्री योआखिम आलगाइयर विज्ञान से संबंधित म्यूजिक वीडियो पर रिसर्च कर रहे हैं. उनका मानना है कि इनमें खासा दम है. क्लास में मुश्किल लेक्चर के मुकाबले म्यूजिक वीडियो की मदद से छात्र बहुत आसानी से कठिन चीजों को याद रख पाते हैं. यही वजह है कि जर्मनी और अमेरिका में टीचर अपनी कक्षाओं में इन म्यूजिक वीडियो का सहारा ले रहे हैं.

अमेरिका में रसायन शास्त्र के एक टीचर ने अपने छात्रों के लिए इस तरह के दो दर्जन से ज्यादा वीडियो जमा किए हैं जिनसे वह पढ़ाने में मदद ले रहे हैं. 'वन हाफ-लाइफ टू लिव' यानि जीने के लिए जिंदगी आधी है. यह गाना रेडियोधर्मी तत्वों की आयु के बारे में बताता है.

यहां तक कि परमाणु रिसर्च के यूरोपीय संगठन (सर्न) ने भी इस तरीके का इस्तेमाल करते हुए 'लार्ज हैड्रन रैप' तैयार किया है. आलगाइयर का मानना है, "इससे दर्शकों को जानने का मौका मिलता है कि रिसर्चर आखिर क्या कर रहे हैं और उनका पैसा कहां खर्च हो रहा है." हालांकि उनके मुताबिक जर्मन रिसर्च इंस्टीट्यूट शायद अभी तक इस तरीके से पूरी तरह राजी नहीं हो पाए हैं. लेकिन कई जर्मन कंपनियां अपने उत्पादों के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए जरूर इनका सहारा ले रही हैं.

गलत हाथों का खतरा

इन वीडियो का एक नुकसान भी है, इनके नियंत्रण की कमी. यूट्यूब पर कोई भी किसी भी तरह का वीडियो बनाकर अपलोड कर सकता है. इंटरनेट पर पहले ही वीडियो की भरमार है.

आलगाइयर मानते हैं कि इन वीडियो का पेशेवर विज्ञापन कंपनियों द्वारा बनाया जाना अच्छा संकेत नहीं है. उन्होंने बताया कि ऐसा यूरोपीय कमीशन के लिए बनाए गए एक वीडियो में हुआ जिसका नाम था 'साइंस इट्स अ गर्ल थिंग.' इस वीडियो का मकसद है विज्ञान संबंधी पेशों को लड़कियों के लिए आकर्षक बनाकर पेश करना. लेकिन वीडियो में ज्यादातर स्टाइलिश कपड़े और गुलाबी लिप्स्टिक पर जोर दिया गया लगता है. कई लोगों को यह वीडियो सेक्सिस्ट भी लगा. इसके बाद यूरोपीय कमीशन ने इसका प्रसारण रोक दिया.

आलगाइयर यह भी मानते हैं कि "वीडियो खतरनाक प्रचार का जरिया भी हो सकते हैं." लेकिन फिलहाल तो ये विज्ञान को छात्रों के लिए आसान बनाते और लोगों की इसमें दिलचस्पी बढ़ाते ही दिख रहे हैं. कनाडा के रैपर बाबा ब्रिंकमैन का गीत 'रैप गाइड टू एवोल्यूशन' डार्विन के सिद्धांत पर आधारित है. इस पर इंग्लैंड के वेल्कम ट्रस्ट ने पैसा लगाया है.

आलगाइयर मानते हैं कि सबसे बेहतरीन वीडियो वे हैं जिनमें रिसर्चरों को हाथ में टेस्ट ट्यूब लिए नाचते गाते दिखाया जाता है, "इससे जाहिर होता है कि रिसर्चर भी आम लोगों की ही तरह हैं जो दूसरों की तरह हंसी मजाक भी करते हैं."

रिपोर्ट: ब्रिगिटे ओस्टेराथ/एसएफ

संपादन: ईशा भाटिया